धर्म
Chaturthi 2025: कल विनायक चतुर्थी है; पूजन विधि और पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें

Chaturthi 2025: गणेश भगवान सबसे अधिक पूजनीय देवता हैं। गणेशजी के आशीर्वाद से किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जाती है। हिंदू धर्म में हर माह की चतुर्थी तिथि गणेश भगवान को समर्पित है।
Chaturthi 2025: हिंदू कैलेंडर में चतुर्थी तिथि हर महीने दो बार पड़ती है। पहली कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में। गणेश चतुर्थी तिथि है। विनायक चतुर्थी अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी भी कहते हैं। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना को पूरा करने के लिए वरद कहते हैं। जो लोग विनायक चतुर्थी का भोजन करते हैं, भगवान गणेश उनसे ज्ञान और धैर्य का वरदान देते हैं। गणेश जी को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है।
हिंदू कैलेण्डर के अनुसार, गणेश पूजा विनायक चतुर्थी के दिन दोपहर को मध्याह्न के समय की जाती है। विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का मुहूर्त है। गणेश चतुर्थी का व्रत करने से विघ्नहर्ता भगवान गणेश सभी समस्याओं और विघ्न का अंत करते हैं।
विनायक चतुर्थी जून 2025
- चतुर्थी तिथि प्रारम्भ 28 जून को 9.52 मिनट पर होगी
- चतुर्थी तिथि का समाप्त 29 जून को 9.14 मिनट पर होगी
- गणेश चतुर्थी का व्रत 28 जून 2025, शनिवार के दिन रखा जाएगा.
- इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10.55 से लेकर 1.30 मिनट तक रहेगा.
- इस दिन पुष्य नक्षत्र के साथ हर्षण योग का निर्माण हो रहा है.
विनायक चतुर्थी 2025 पूजा विधि
- विनायक चतुर्थी पर सुबह ही स्नान कर व्रक का संकल्प लें, इस दिन कोशिश करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें.
- गणेश जी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें.
- गंगाजल से अभिषेक करें और चंदन का तिलक लगाएं.
- गणेश जी को उनकी प्रिय 21 दूर्वा अर्पित करें.
- वस्त्र, फूल, अक्षत और पान अर्पित करें.
- गणेश जी के समक्ष दीपक जलाएं.
- विनायक चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें.
- पूजा के बाद गणेश जी के प्रिय मंत्र “ॐ गण गणपतये नमः” का जप करें.
- गणेश जी की आरती करें.
- गणेश जी को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं.
गणेश जी के मंत्र
- ॐ गं गणपतये नमः
- ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपत्ये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥