CM Yogi Adityanath ने महराजगंज में रोहिन नदी पर निर्मित बहुप्रतीक्षित बैराज का उद्घाटन किया। इस परियोजना से पूर्वांचल क्षेत्र के हजारों किसानों को फायदा होगा। यह महाराजगंज और आसपास के नौतनवां और लक्ष्मीपुर के किसानों को भी प्रभावित करेगा।
CM Yogi Adityanath ने महराजगंज में रोहिन नदी पर निर्मित बहुप्रतीक्षित बैराज का उद्घाटन किया। पूर्वांचल क्षेत्र के हजारों किसान इस परियोजित सेना से लाभ उठाएंगे। यह न केवल महाराजगंज के किसानों को बल्कि आसपास के नौतनवां और लक्ष्मीपुर जिलों के किसानों को भरपूर सिंचाई सुविधा देगा। योगी सरकार ने रोहिन नदी पर एक बैराज बनाया, जो हजारों किसानों को सिंचाई की समस्या से छुटकारा दिलाएगा। यह भी कृषि उत्पादन और क्षेत्रीय विकास को बढ़ा देगा। योगी सरकार की यह पहल ‘समृद्ध किसान, सशक्त उत्तर प्रदेश’ के विज़न को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग ने बताया कि रोहिन नदी पर बैराज लगभग 86 मीटर लंबा है और इसके दोनों तटों पर सिंचाई की व्यवस्था की गई है। सिंचाई के लिए 4,046 हेक्टेयर बांयी ओर और 3,372 हेक्टेयर दाहिनी ओर जलापूर्ति की गई है। अब लगभग 7000 हेक्टेयर खेती योग्य जमीन इससे सीधे लाभ उठाएगी। मुख्य बैराज 10 मीटर चौड़ा है और सात स्टील स्लूइस गेट लगाए गए हैं, जिनमें से पांच 3 मीटर ऊंचे हैं, उन्होंने बताया। सभी गेट ग्यारह से तेरह टन के हैं। यह गेट रोहिन नदी के जल को संग्रहित करके नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचाएंगे। साथ ही चार मीटर चौड़े और चार से पांच मीटर ऊंचे स्लूइस गेट भी केनाल के सिर पर लगाए गए हैं। पहले नदी पर अस्थायी बैरिकेड लगाकर सीमित सिंचाई होती थी, लेकिन अब यह स्थायी संरचना पूरे साल भर पानी उपलब्ध कराने में सक्षम होगी।
बैराज से बाहर निकाली गई पांच माइनर नहरें, अस्थायी बैरिकेड से मुक्त
नौतनवां और लक्ष्मीपुर विकास खंडों में सिंचाई व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बैराज से पांच माइनर नहरें निकाली गईं हैं रामनगर, नकटोजी, वटजगर, सिसवा और बौलिया। इससे रबी और खरीफ दोनों फसलों को जल मिल सकेगा। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता यांत्रिक उपेंद्र सिंह ने बताया कि लगभग 65 वर्ष पहले इस क्षेत्र में एक अस्थायी बैरिकेड लगाया गया था, जो हर साल मानसून से पहले हटा दिया जाता था। इससे किसानों को वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था और सूखे की स्थिति में भारी नुकसान उठाना पड़ता था।
सिंचाई विभाग ने इन हालात को देखते हुए एक स्थायी परियोजना, “रोहिन बैराज-3” की योजना बनाई। 45.36 किमी. लंबे रोहिन प्रणाली का सीसीए 8,811 हेक्टेयर है, जिसमें मुख्य नहर का शीर्ष डिस्चार्ज 110 क्यूसेक है। बैराज को चलाने के लिए मैनुअल, इलेक्ट्रिक सिस्टम और कंप्यूटर आधारित स्काडा सिस्टम के तीन विकल्प हैं। वर्तमान स्काडा प्रणाली से बैराज चलाना कंट्रोल रूम में बैठकर ही संभव है। यह बैराज आधुनिकता और परंपरा का संगम प्रस्तुत करता है।
आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए बैराज पर लगाए गए स्टाप लाग गेट
प्रमुख सचिव ने बताया कि बैराज के सभी गेटों और यांत्रिक प्रणाली को आईएसओ प्रमाणित बरेली सिंचाई कार्यशाला खंड में बनाया गया है। बैराज पर आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने के लिए स्टाप लाग गेट भी बनाया गया है। उनका कहना था कि किसानों की आय बढ़ेगी और जल संरचना भी मजबूत होगी। याेगी सरकार द्वारा इस तरह की बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रही हैं।