राज्यउत्तर प्रदेश

CM Yogi Adityanath ने गोरखपुर में कहा, खोखले शब्दों से नहीं, आचरण परिवर्तन से आता है बदलाव

CM Yogi Adityanath ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह सत्यवादी और प्रेरक थे

CM Yogi Adityanath: गोरखनाथ मंदिर के गोरक्षपीठाधीश्वर और सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि दोनों महंतों ने जो कहा वह करके भी दिखाया।जो बोला वह किया और जो किया वही बोला। दोनों शिक्षकों ने सामाजिक एकता के लिए समरसता की कोशिश को एक नई ऊंचाई दी। सेवा, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को आगे बढ़ाया। गोरक्षा और गोसेवा का लक्ष्य पूरा हुआ। महंतद्वय के लिए कोई कार्य सिर्फ उपदेश नहीं था बल्कि वह उसे करके दिखाते थे। वास्तव में किसी बात का वजन तभी होगा जब हम उसे खुद आचरण में उतारेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरे भाषण से नहीं आचरण परिवर्तन से बदलाव आता है।।

सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। उनका कहना था कि संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से नई प्रेरणा मिलती है, क्योंकि इससे उनके व्यक्तित्व और कार्यों का स्मरण होता है। CM योगी ने कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत और अश्पृश्यता के चलते राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी। इसलिए भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को एकजुट करने का संदेश दिया है।

हमें देश और समाज के हित के लिए एकजुट होकर, बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क रहना होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के कई प्रकल्पों में भाग लेने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य भाव था। वह एक प्रेरक और असली समाज सुधारक थे। वह सहज और साधारण लोगों के लिए प्रेम की तरह थे, लेकिन धर्मविरोधी आचरण करने वालों के प्रति वज्र की तरह कठोर थे।

जोड़ने की रही है गोरक्षपीठ की परंपरा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ ने समाज और जीवन का कोई हिस्सा नहीं बदला है। पीठ परंपरा ने जोड़ने की कोशिश की है। पीठ ने इतिहास के विभिन्न चरणों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम बनाया गया था। यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा।

CM योगी ने कहा कि स्वतंत्रता मिलने के बाद भी गुलामी की भावना इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश को सही दिशा में नहीं ले पाया। बहुत से बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से स्वतंत्रता मिलने के बाद भी देश को सही दिशा नहीं मिलने से संतों को गुस्सा आया।

आज भारत सही दिशा में बढ़ रहा है

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत आज सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत ने पिछले दस वर्षों में एक उत्कृष्ट सर्वांगीण विकास की योजना बनाई है। वर्तमान परिस्थिति में, हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम विभाजनकारी शक्तियों के षड्यंत्र से बचें। आपस में लड़ाई करने के लिए धन किसी और का होगा, लेकिन माध्यम स्थानीय लोग होंगे, इसलिए सतर्क रहना चाहिए। इससे बचने के लिए संत परंपरा के संदेशों को समझना चाहिए।

सामाजिक एकजुटता की पोषक है संत परंपरा

सीएम योगी ने कहा कि संत परंपरा सामाजिक एकजुटता की पोषक है। गुरु गोरखनाथ से लेकर आदि शंकर, स्वामी रामानंद, स्वामी रामानुजाचार्य सबके संदेश का प्राथमिक भाव यही है, “जाति-पांति पूछै नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई”।

आजीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहे दोनों गुरुजन

महंत द्वय बिना रुके, बिना थके, बिना डिगे आजीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहे। दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी। इसके इतर उनके लिए कुछ भी नहीं था। उनके मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप चलते हुए गोरक्षपीठ धर्म और देश की रक्षा को प्रतिबद्ध है।

Related Articles

Back to top button