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Delhi High court ने जंगल को हरित फेफड़े क्यों बताया और क्या कहा?

Delhi High court

Delhi High Court ने कहा, ‘‘जंगल को बहाल करने दीजिए। आज अधिक जंगल कहां मिलेंगे? इसलिए वर्तमान जंगलों को बचाना चाहिए।

गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि प्रदूषण से लोगों को बचाने के एकमात्र उपाय जंगल हैं, जो “दिल्ली के हरित फेफड़े” हैं। इसलिए उन्हें “बहाल” करना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान धार्मिक संरचनाओं पर अतिक्रमण सहित अनधिकृत निर्माण पर चिंता व्यक्त की।

Delhi High Court ने कहा, “लोग यहां सांस नहीं ले पा रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से लोग मर रहे हैं। वन क्षेत्रों में किसी को भी रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए।”

प्रदूषण से लोग मर रहे हैं

“जंगल को बहाल करने दीजिए,” दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की पीठ ने कहा। आज अधिक जंगल कहां मिलेगा? इसलिए आज के जंगलों को बचाना चाहिए। ये दिल्ली की सफेद छाप हैं। मानव बनें। समझें कि प्रदूषण से मौतें होती हैं। यह हमारा एकमात्र बचाव है।‘’

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पीर, दरगाह बहुत हो गया, अब सांस लेने दीजिए

Delhi High Court की पीठ ने कहा, “हम सांस नहीं ले पाएंगे, आप क्या देखेंगे?” विरासत का आनंद कैसे लेंगे अगर आप शहर में सांस नहीं ले पाएंगे? उन्हें सांस लेने की अनुमति दीजिए। पीर, दरगाह और मंदिर बहुत हो गए। बहुत कुछ हो गया। हमारे पास पर्याप्त मात्रा है।‘’

आशिक अल्लाह दरगाह को बचाने की मांग

9 फरवरी 2024 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणियां कीं। याचिकाकर्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि पुराने स्मारकों, खासकर महरौली में आशिक अल्लाह दरगाह को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाए।

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