Eid-Ul-Fitr और Eid-Al-Adha के बीच क्या फर्क है? महत्व भी जानें

Eid-Ul-Fitr और Eid-Al-Adha

Eid-Ul-Fitr और Eid-Al-Adha दो अलग-अलग त्यौहार हैं। लेकिन अधिकांश लोग ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा को एक ही समझते हैं।

Eid का नाम बार-बार सुनकर लोगों को लगता है कि ईद का त्यौहार खत्म हो गया था, लेकिन फिर से आ गया। इस्लाम के ग्रंथों में भी इनका इतिहास, मनाने का तरीका और महत्व बहुत अलग हैं। यह लेख आपको मदद कर सकता है अगर आप भी नहीं जानते हैं।

आज हम Eid-Ul-Fitr और Eid-Al-Adha के बीच क्या अंतर है बताएंगे।

क्या है ईद-उल-फितर?

मुस्लिम ग्रंथ कहता है कि ईद का त्यौहार जीत और खुशी में मनाया जाता है। माना जाता है कि बद्र के युद्ध में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की जीत के बाद लोगों ने पहली बार ईद-उल-फितर मनाया था। तब से, सभी मुस्लिम इस त्यौहार को मनाते हैं और एक-दूसरे से मिलते हैं।

मीठी ईद भी ईद-उल-फितर का नाम है। मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार, शव्वाल महीना ईद से शुरू होता है और नौवें नंबर पर है क्योंकि रमजान का महीना दसवें नंबर पर है।

क्या है ईद-उल-अजहा?

ईद उल-अजहा का पर्व लगभग सत्तर दिनों बाद ईद उल-फितर में मनाया जाता है। मुस्लिम पुस्तकों के अनुसार, इस दिन हलाल जानवरों को मार डाला जाता है। यह कुर्बानी हज़रत इब्राहिम की याद में दी जाती है।

बकरा ईद भी कहलाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार वर्ष का बारहवाँ महीना है। इस महीने बहुत खास धू-अल-हिज्जा और बकरीद भी आते हैं।

ईद-उल-फितर का इतिहास

याद रखें कि ईद मुस्लिमों को पूरे महीने रोजे रखने के बाद अल्लाह ने एक बख्शीश या तोहफा दी है, जिसे ईद-उल-फितर कहा जाता है। यही कारण है कि हर साल रमजान के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है ताकि लोग रमजान के दौरान हुए दुःख को भूल सकें।

ईद-उल-अजहा का इतिहास

मुस्लिम पुस्तकों के अनुसार, इस दिन हलाल जानवरों को मार डाला जाता है। इसके पीछे की कहानी यह है कि अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम को कहा कि वह अपने बेटे हज़रत इस्माइल को मार डाले। हज़रत इब्राहिम ने अल्लाह की आज्ञा मानकर अपने बेटे को कुर्बानी देने को तैयार हो गया।

लेकिन हज़रत इब्राहिम कुर्बानी देते समय बीच में एक बकरा आया और कुर्बानी दे दिया। इस वाक्य के बाद इस दिन एक बकरे को मार डाला जाता है।

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ईद-उल-फितर की खासियत

ईद की एक विशेषता है कि ईद-उल-फितर के दिन बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया जाता है। बच्चों को ईदी दी जाती है और नए कपड़े पहने जाते हैं। इस दिन गरीबों को फितरा भी दिया जाता है।

ईद के दिन सिर्फ खाना बनाना नहीं होता, बल्कि अपने दिलों को साफ करके एक दूसरे से मिलने का दिन होता।

बकरा ईद की खासियत

ईद-उल-अजहा की एक विशेषता यह है कि मुस्लिमों का हज भी इसी दौरान होता है। सऊदी अरब में हज के दौरान भी लोग कुर्बानी देते हैं। आपको बता दें कि यह कुर्बानी देने का इस्लामिक तरीका है। इस प्रक्रिया में पहले जानवर को पर्याप्त भोजन दिया जाता है।

फिर जानवर को काबे की तरफ मुंह करके लिटाया जाता है और दुआ पढ़ा जाता है। फिर ज़बह करते हुए अल्लाह का नाम लेते हैं।

आप ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा के बीच अंतर समझ गए होंगे। यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे शेयर करें और हमेशा इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए अपनी वेबसाइट पर जुड़े रहें।

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