गणेश चतुर्थी 2025: गणेश विसर्जन क्यों किया जाता है, और शेयर करते हैं इसका पौराणिक महत्व

गणेश चतुर्थी 2025: जानिए क्यों किया जाता है गणेश विसर्जन, विसर्जन की तिथि और महत्व, और गणेश जन्म की पौराणिक कथा।

गणेश चतुर्थी 2025 इस वर्ष 27 अगस्त से प्रारंभ हो रही है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर दस दिनों तक चलता है, और अनंत चतुर्दशी को इसका समापन अर्थात गणेश विसर्जन किया जाता है।

गणेश विसर्जन: परंपरा में विदाई और नए सृजन का प्रतीक

गणेश चतुर्थी के दस दिनों तक भगवान गणेश की पूजा, आरती, भोग व भजन-कीर्तन के बाद भक्तजन उनकी मिट्टी की प्रतिमा को नदी, झील या तालाब में विसर्जित करते हैं। इसे धूमधाम से मंदिरों, घरों और झांकियों के माध्यम से निकाली जाती है। लोग ‘अगले साल फिर आइए महाएश्वर’ टाइप के मंत्रों के साथ विदाई देते हैं। यह परंपरा जीव-जंतुओं और प्रकृति के सहयोग से मिट्टी से निर्मित गणेश प्रतिमा को जल में विलीन कर जग में सकारात्मकता व समृद्धि फैलाने का प्रतीक मानी जाती है।

गणेश चतुर्थी 2025: विसर्जन का समय और क्षेत्रीय रूप

पुराणों में गणेश जन्म और विसर्जन का पौराणिक महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती की शरीर की मैल से हुआ था। उन्होंने उस पुतले में प्राण डाल दिए थे। भगवान शिव जब आए, तब गणेश ने उन्हें रोक दिया, जिससे शिव जी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश का सिर काट दिया। पर पार्वती जी की प्रार्थना सुनकर शिव जी ने हाथी के बच्चे का सिर गणेश जी से जोड़कर उन्हें पुनर्जीवित किया। इस पुनःनिर्माण के प्रतीक के रूप में मिट्टी की मूल पुतली को फिर से मिट्टी में विसर्जित करना ‘जन्म और विनाश के चक्र’ को दर्शाता है।

विसर्जन से जुड़ी मान्यताएं और लाभ

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