धर्म

Ganesh Jayanti 2024: माघी गणपति का शास्त्रीय स्वरूप और माघी जयंती क्यों खास है?

Ganesh Jayanti 2024

Magh Ganesh Jayanti 2024: माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक जयंती या माघी गणेश चतुर्थी कहते हैं। शास्त्रों में माघ महीने में गणपति को पूजना बहुत महत्वपूर्ण है।

गणेशोत्सव, जो भाद्रपद महीने में पड़ता है, दस दिन से ग्यारह दिन तक चलता है (Ganesh Chaturthi, 2024)। लेकिन बहुत कम लोग माघी गणेश चतुर्थी को जानते हैं। गणेशोत्सव भी इसी तरह पूजा जाता है। यह माघ महीने में पड़ता है, इसलिए माघी गणपति, जो माघ महीने में गणेशजी की पूजा का नाम है।

अभी तक, माघी गणेश चतुर्थी का उत्सव सिर्फ महाराष्ट्र और कर्नाटक में मनाया जाता था। लेकिन आज इसे देश भर में मनाया जा रहा है। आज संकष्टी (भगवान गणेश को समर्पित) व्रत है। हमारे हथियारों में भी माघ मास में गणेश पूजन और संकष्टी व्रत का वर्णन है, चलिए देखें-

Ganesh Jayanti 2024: नारद पुराण (पूर्वभाग चतुर्थ पाद अध्याय क्रमांक 113) माघ कृष्णा चतुर्थी को “संकष्टव्रत” कहते हैं। उसमें उपवास करने का निश्चय करके व्रती पुरुष सबेरे से सूर्योदय तक नियमित रूप से रहें। मन को नियंत्रित रखें। सूर्योदय होने पर गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसे पीढ़े या चौकी (पाटे) पर रखें। गणेशजी को आयुध और वाहन भी चाहिए। गणेशजी को मूर्ति में स्थापित करके षोडशोपचार से विधिपूर्वक पूजन करें। फिर गुड़ और मोदक में बने हुए तिल के लड्डू को अर्पित करें। इसके बाद एक तांबे के पात्र में कुश, दूर्वा, फूल, अक्षत, शमीपत्र, दधि और जल मिलाकर चन्द्रमा को अर्घ्य दें। तब इस मंत्र का उच्चारण करें

“गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥” (नारद पुराण पूर्वभाग चतुर्थ पाद 113.77)

“गगन समुद्र के माणिक्य चन्द्रमा! दक्षकन्या रोहिणी के प्रियतम! गणेश के प्रतिविम्ब! आप मेरा दिया हुआ यह अर्घ्य स्वीकार कीजिए”, इसका अर्थ है।”

Ganesh Jayanti 2024: इस तरह गणेशजी को यह दिव्य तथा पापनाशक अर्घ्य प्रदान करें। इस तरह, एक व्यक्ति धन प्राप्त करता है जब वह कल्याणकारी ‘संकष्टव्रत’ का पालन करता है। वह कभी परेशान नहीं होता। शास्त्रों में माघ शुक्ला चतुर्थी को परम उत्तम गौरी व्रत का भी उल्लेख है।

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Ganesh Jayanti 2024: हमारी आस्था का विषय चाहे भाद्रपद की चतुर्थी हो या माघ की। भक्त प्रथम पूज्य की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। पुराने लोगों में भी माघी गणेशजी की मूर्ति रखने का प्रचलन भी बढ़ता जा रहा है, जो शुभ संकेत है।

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