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International Women’s Day 2022: एक ऐसा गांव जंहा महिला के नाम से होती है पुरुषों की पहचान

हमारे देश भारत में एक राज्य ऐसा भी है जंहा लड़कियों के नाम से उनके घर को पहचाना जाता है। जी हां, छत्तीसगढ़ प्रदेश के बालोद जिले में लोगों के घरों की पहचान घर के मुखिया पुरुष के नाम से नहीं बल्कि घर की बेटी के नाम से होती है।

दरअसल, प्रदेश के बालोद जिले के गांवों के स्थानीय लोगों और प्रशासन की अनोखी मुहीम का यह नतीजा है। इस मुहिम के तहत इस गांव के लोग अपने घरों के बाहर नेमप्लेट पर अपनी बेटियों के नाम लिखवाते हैं। ऐसा इस उद्देश्य से किया जाता है ताकि लड़कियों की शिक्षा एवं समाज में उनकी पहचान को सशक्त बनाया जा सके।

बता दें बालोद माओवाद से न के बराबर प्रभावित है। लगभग 2 महीने पहले इस मुहीम की शुरुआत की गई थी। इस पहल के तहत गांवों के घरों के बाहर परिवार की छात्राओं की नेमप्लेट लगाई गई हैं।

बालोद के कलेक्टर राजेश राणा ने इस मुहीम के विषय में बताया कि लोगों को बच्चियों शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए और लड़कियों में साक्षरता बढ़ाने के लिए यह मुहिम शुरू की गई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, बालोद के विभिन्न गांवों में विभिन्न आयु वर्ग की करीब 2,700 लड़कियों के नाम की पट्टियां उनके घरों के बाहर लगाई गई हैं। मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय जन प्रतिनिधियों, सरपंच एवं अधिकारियों के साथ विचार विमर्श के बाद प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम की सोच को साकार करने के मकसद से इस पहल की शुरुआत की गई थी।

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बालोद कलेक्टर के इस मुहीम से वहां की लड़कियों में आत्म.सम्मान बढ़ रहा है। इस पहल की शुरुआत के कुछ समय बाद ही 12 ग्राम पंचायतों के इसके सफल परिणाम देखने को मिल रहे है। स्थानीय लोगों इसका बेहद सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। बालोद की 11वीं कक्षा की एक छात्रा ने बताया कि यह हमारे लिए सपना साकार होने जैसा है। इस मुहिम के कारण लड़कियों के प्रति गांवों के लोगों की सोच बदल रही है।

वहीं, इस मुहिम के तहत सिर्फ लड़कियों को आगे बढ़ाना ही नहीं है बल्कि पर्यावरण को भी बचाने का उद्देश्य है। दरअसल घरों के बाहर लगे नेमप्लेट का रंग हरा होता है। नेमप्लेट के हरे रंग का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना है। बता दें इस मुहिम से माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए ही बस प्रेरित नहीं कर रही, बल्कि धीरे-धीरे उनकी पुरूष प्रधान सोच भी बदल रही है। इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए नेमप्लेट को हरे रंग से रंगा गया है और इस पर सफेद पेंट से घर की बेटियों के नाम लिखे जाते हैं।

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