झारखंड सरकार ने स्कूली प्रणाली को सुधारने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। झारखंड राज्य सरकार ने दिल्ली मॉडल स्कूलों को अपनाने का निर्णय लिया है। सरकार इसके लिए भी एक स्वतंत्र संस्था नियुक्त कर रही है।
झारखंड सरकार: दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तरह झारखंड के सरकारी स्कूल भी विकसित होंगे। इसके लिए झारखंड सरकार एक संस्था को फिर से शुरू करेगी। उपलब्ध संसाधनों पर इस संस्था ने स्कूलों को रैंकिंग दी जाएगी। यह भी देखेगा कि स्कूलों को विकसित करने के लिए अभी भी किन संसाधनों की जरूरत है। फिर स्कूलों का डेटाबेस तैयार कर उसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंपेगी।
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद (जेईपीसी) ने स्कूलों के इस वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए प्रोफेशनल एजेंसी को बहाल करने के लिए टेंडर निकाला है। टीम का नेतृत्व करने के लिए एजेंसी में 10 वर्ष का एक प्रोजेक्ट डायरेक्टर नियुक्त किया जाएगा। उन्हें सर्वोत्तम रणनीति बनाने के साथ-साथ विकल्पों का विश्लेषण कर निर्णय लेने का अधिकार मिलेगा। साथ ही, एजेंसी में एक प्रोजेक्ट मैनेजर (एमबीए) रखा जाएगा। साथ ही अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान और सांख्यिकी में कम-से-कम सात साल का अनुभव आवश्यक होगा। साथ ही एक डेटा एनालिस्ट और दो शिक्षक ट्रेनिंग स्पेशलिस्ट भी टीम में शामिल होंगे। यह टीम स्कूलों को भी मूल्यांकन करेगी और शिक्षकों को भी देखेगी कि वे बच्चों को पढ़ाने के लिए योग्य हैं या नहीं।
क्या है दिल्ली मॉडल
दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में स्वच्छता, शौचालय और योग्य शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की कमी की घोषणा की है। इसी तरह स्कूल बनाए गए हैं। लंबे समय से चल रहे आम लोगों के शिक्षा मॉडल और कुलीन वर्ग के शिक्षा मॉडल के बीच का अंतर कम हो गया। संसाधनों की कमी नहीं हुई। दिल्ली का शिक्षा मॉडल पांच महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित है। सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तरह भवन और कक्षाएं बनाना। प्रिंसिपल और शिक्षकों से स्वच्छता, रखरखाव और मरम्मत बोझ से मुक्त कर प्रबंधक की नियुक्ति की गई।
दूसरा घटक है प्रिंसिपल और शिक्षकों को ट्रेनिंग। तीसरा घटक रहा अनुशासनहीनता को दूर करना। शिक्षा मंत्री ने स्वयं स्कूलों का निरीक्षण किया। नियमित शिक्षण गतिविधियों की शुरुआत की गई, ताकि बच्चे पढ़ना, लिखना और बुनियादी गणित का कौशल सीखें। नर्सरी से कक्षा 8 तक के बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य हेतु हैप्पीनेस पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई। कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों में समस्या-समाधान और विचार क्षमताओं को विकसित करने के लिए उद्यमशीलता पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई।
में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ जाऊंगा दिल्ली: मंत्री
स्कूली शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि वे खुद दिल्ली जाएंगे, शिक्षा विभाग के कुछ अफसरों के साथ। झारखंड के सरकारी स्कूलों का दौरा कर बेहतर व्यवस्था लागू करेंगे। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता की तुलना में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की गुणवत्ता होगी।
क्यों पड़ रही एजेंसी की जरूरत
जेईपीसी की ओर से जारी प्रस्ताव में कहा गया कि राज्य को स्कूलों के बुनियादी ढांचे, शिक्षा की गुणवत्ता में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल बुनियादी ढांचा के मामले में काफी पिछड़े हुए हैं। इनमें बिजली, कार्यात्मक शौचालय और पेयजल शामिल हैं, जिससे डिजिटल शिक्षण उपकरण उपलब्ध करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कई ब्लॉक के लगभग आधे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में औसतन 50 छात्रों के लिए केवल एक शिक्षक है। जेईपीसी के मुताबिक, असर 2022 की रिपोर्ट है कि झारखंड में कक्षा एक के लगभग 49.1 छात्र बुनियादी साक्षरता कौशल, जैसे कि कैपिटल लेटर को पहचानने में भी संघर्ष करते हैं।