Karnataka Hijab Row: मौजूदा हिजाब विवाद को देखते हुए, शैक्षणिक संस्थानों बेंगलुरु के आसपास किसी भी सभा या आंदोलन को प्रतिबंधित करने वाले निषेधाज्ञा को 8 मार्च तक बढ़ा दिया गया है। अब 9 फरवरी को पारित प्रारंभिक आदेश 8 मार्च तक प्रभावी रहेंगे। वहीं दूसरी ओर आज कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकार से हिजाब को लेकर सवाल किए हैं।

पुलिस कमिश्‍नर का आदेश
सोमवार को एक नए आदेश में, बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में स्कूलों और कॉलेजों में वर्दी के नियमों को सख्ती से लागू करने के संबंध में विरोध प्रदर्शन देखा गया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन से सार्वजनिक शांति और व्यवस्था भंग हो सकती थी, इसलिए शहर में सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित सुरक्षा उपाय शुरू करना आवश्यक माना गया।

विरोध प्रदर्शन की संभावना से इंकार नहीं
आदेश में कहा गया है कि चूंकि यह मुद्दा अभी भी जीवित है और बेंगलुरु में वर्दी के खिलाफ और विरोध प्रदर्शन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए किसी भी प्रकार के किसी भी सभा, आंदोलन या विरोध को प्रतिबंधित करने के लिए निषेधाज्ञा को और दो सप्ताह के लिए बढ़ाना उचित माना जाता है। शहर के स्कूलों, पीयू कॉलेजों, डिग्री कॉलेजों या इसी तरह के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के आसपास। कर्नाटक हाई कोर्ट इस मामले की रोजाना सुनवाई कर रहा है।

हिजाब पर हाईकोर्ट से सवाल
उससे पहले हाई कोर्ट कर्नाटक सरकार से पूछा था कि क्या संस्थानों में हिजाब की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। इस पर, एजी ने कहा कि सरकारी आदेश का ऑपरेटिव हिस्सा इस संबंध में निर्णय लेने के लिए संस्थानों पर छोड़ देता है। एजी ने आगे कहा कि सरकारी आदेश संस्थानों को वर्दी तय करने के लिए पूर्ण स्वायत्तता देता है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की प्रस्तावना एक धर्मनिरपेक्ष वातावरण को बढ़ावा देना है, और राज्य का रुख यह है कि धार्मिक पहलुओं को पेश करने का तत्व वर्दी में नहीं होना चाहिए।