धर्म

Khatu Shyam Mela 2024: खाटू श्याम में हर साल लक्खी मेला क्यों लगता है? दर्शन से पहले जानें ये 7 महत्वपूर्ण बातें

Khatu Shyam Mela 2024

Khatu Shyam Mela 2024: राजस्थान के सीकर जिले में हर साल फाल्गुन महीने में बाबा खाटू श्याम लक्खी मेला होता है। इस वर्ष 12 मार्च से 21 मार्च तक मेला चलेगा। अगर आप भी बाबा खाटू श्याम के प्रशंसक हैं, तो दर्शन के लिए जाने से पहले खाटू श्याम बाबा मंदिर और लक्खी मेले के बारे में कुछ जानकारी जरूर लें।

हारे हुए का सहारा माना जाता है। इसका मतलब यह है कि बाबा खाटू श्याम जी अपना सहारा देते हैं और उसके सारे दुःख दूर करते हैं। भक्त बाबा खाटू श्याम का आर्शीवाद लेने के लिए राजस्थान के सीकर में उनके मंदिर में माथा टेकते हैं। अगर आप भी बाबा खाटू श्याम के प्रशंसक हैं, तो आप राजस्थान के सीकर में श्याम बाबा के मंदिर के पास होने वाले लक्खी मेले में भी जा सकते हैं।

Khatu Shyam Mela 2024: बाबा खाटू श्याम के जन्मदिन पर हर साल खाटू श्याम लक्खी मेला होता है। मेला दस दिनों तक चलता है। फाल्गुन महीने में 12 मार्च से 21 मार्च तक यह मेला चलेगा। लक्खी मेले के अंतिम दिन श्याम बाबा का जन्मदिन होगा। आइए, हम जानते हैं आखिर क्यों लक्खी मेला लगता है।

​महाभारत के युद्ध से जुड़ा है सम्बध

Khatu Shyam Mela 2024: महाभारत का युद्ध कौरवों और पांडवों का था। घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने जब इसकी सूचना प्राप्त की, तो उसने अपनी माता से कहा कि वे भी कुरुक्षेत्र में चल रहे युद्ध में भाग लेना चाहते हैं। यह सुनकर उनकी मां ने कहा कि बर्बरीक, तुम असीम शक्ति धारण करने वाले हो, इसलिए अपनी शक्ति कभी भी किसी कमजोर पर या उस दल पर मत करो, जो हार रहा है। हारने वाले को सहारा देना, इसका अर्थ है कि हारने वाले पक्ष को सहारा देना चाहिए।

बर्बरीक ने इसे सुनकर युद्धभूमि पर पहुंच गए। श्रीकृष्ण को पता था कि युद्ध में कौन हारेगा और बर्बरीक किसका साथ देंगे। श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण बनकर बर्बरीक को कौरवों का साथ देने से रोकने के लिए ब्राह्मण का वेश धारण किया और बर्बरीक से उनका शीश दान में देने की विनती की। ब्राह्मणों द्वारा ऐसा दान मांगने पर बर्बरीक ने सोचा कि यह कोई देवता है, जिन्होंने ऐसा कुछ मांगा है। बर्बरीक ने ब्राह्मणों से अपने असली रूप में आने को कहा। जब श्रीकृष्ण अपने रूप में आए, तो बर्बरीक खुश हो गए और फाल्गुन मास की द्वादशी को अपना शीश काटकर श्रीकृष्ण को दान में दे दिया।

​कलयुग में हारे हुए का सहारा हैं खाटू श्याम

बर्बरीक एक महान योद्धा था, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने उनके शीश को उठाकर अमृत कलश में डाल दिया, जिससे वे अमर हो गए। इसके बाद उन्होंने पूरी लड़ाई देने की घोषणा की। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को पूरे युद्ध को देखने के लिए उनके सिर को सबसे ऊंची पहाड़ी पर रखा।

साथ ही, बर्बरीक की त्यागशीलता को देखकर श्रीकृष्ण ने खाटू श्याम को वरदान दिया कि कलियुग में उनका नाम पूजा जाएगा। बाबा खाटू श्याम इसके नाम से पूजा जाता है। यह महत्वपूर्ण है कि राजस्थान के सीकर में लक्खी मेला लगाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले इस मेले में लाखों लोग आते हैं।

​कैसे बना खाटू श्याम का मंदिर?

Khatu Shyam Mela 2024: खाटू श्याम को कलियुग में हार गए लोगों का सहारा माना जाता है। कलियुग की शुरुआत में जमीन के नीचे से खाटू श्याम का सिर मिला। इसकी खोज भी एक कहानी है। माना जाता है कि जहां श्याम बाबा का सिर मिला था, वहीं एक गाय आती थी, जिसके थन से स्वयं दूध निकलकर गिरता था।

उस जगह को खुदाई करने का निर्णय लोगों ने लिया जब यह सामने आया। श्याम बाबा का सिर खुदाई में वहीं से निकला। इस सिर को एक पुरोहित को दिया गया था। इसके बाद राजस्थान के तत्कालीन राजा रूप सिंह को उस स्थान पर मंदिर बनाने की इच्छा होती है। उस स्थान पर सपने में श्याम बाबा का मंदिर बनाया गया था।

खाटू श्याम मंदिर का महत्व

Khatu Shyam Mela 2024: 1027 ई. में राजा रूप सिंह ने राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम मंदिर बनाया था। 1720 ई. के करीब, देवान अभय सिंह ने कुछ बदलावों के साथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया। मंदिर को पत्थरों और संगमरमर से बनाया गया है। मंदिर में एक प्रार्थना कक्ष है और लोग स्नान करने के लिए एक कुंड भी है। यहां पर चुन्नी और धागे भी बांधे जाते हैं, ताकि भगवान अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करे।

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​खाटू धाम के लक्खी मेले में क्या होगा खास

Khatu Shyam Mela 2024: खाटू श्याम बाबा में होने वाले लक्खी मेले को हर बार की तरह तैयार किया गया है। श्याम बाबा का मंदिर फूलों से सजाया जाएगा और उसकी पूजा भी होगी। गुलाब, चमेली और गेंदे के फूलों सहित सुंदर वस्त्रों से श्याम बाबा को सजाया जाता है।

​फाल्गुन मास में बाबा को चढ़ाते हैं गुलाल

श्याम बाबा के भक्त होली खेलते हैं क्योंकि मेला होली के आसपास है। भक्त भी श्याम बाबा के जन्मदिन पर उन्हें गुलाल चढ़ाते हैं और मेले में होली का उत्साह है। गुलाल लगाने के अलावा खाटू श्याम बाबा को कई तरह की मिठाई, गुजियां और खाने-पीने की चीजें चढ़ाई जाती हैं।

​कैसे पहुंचे खाटू श्याम बाबा धाम में लगे लक्खी मेले में

Khatu Shyam Mela 2024: अगर आप भी राजस्थान के सीकर में होने वाले लक्खी मेले को देखना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले जयपुर जाना होगा। खाटू श्याम मंदिर जयपुर से आठ सौ किलोमीटर दूर खाटू गांव में है। रिंगस रेलवे स्टेशन सबसे पास है। रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद, आप खाटू धाम में लगने वाले मेले में टैक्सी या जीप से जा सकते हैं। वहीं, अगर आप दिल्ली या आसपास की जगहों से अपनी कार से जा रहे हैं, तो पांच से छह घंटे का समय लगेगा।

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