जानिए कौन हैं देश की पहली महिला जासूस , जिन्‍होंने नेता जी की जान बचाने को पति को मार डाला

5 मार्च सन 1905 को यूपी के जिला बागपत के खेकड़ा में जन्मीं नीरा आर्य उन महिलाओं में शामिल हैं जिन्होंने रूढिय़ों और सामाजिक बंधनों को तोड़कर वह कार्य किए, जिन्हें पुरुषों का एकाधिकार माना जाता था। आजाद हिंद फौज में झांसी रानी रेजीमेंट की सिपाही नीरा आर्य ने सुभाष चंद्र बोस की जान के दुश्मन बने अपने पति को मार डाला था। उन्होंने अंग्रेजों की जासूसी करते हुए आजाद हिंद फौज को महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराईं। इसी कारण उन्हें देश की पहली सैन्य महिला जासूस नाम से भी जाना जाता हैं । अब उनके जीवन पर एक फिल्म भी बन रही है।

यूपी के बागपत निवासी साहित्यकार और लेखक तेजपाल धामा बताते हैं कि देश की आजादी के बाद नीरा आर्य ने हैदराबाद मुक्ति संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी। हैदराबाद रियासत के विलय के बाद नीरा आर्य हैदराबाद के फलकनुमा रेलवे स्टेशन (railway) के निकट एक झोपड़ी में जीवन बिताने लगीं। उन्होंने बताया कि सन 1993 से 1998 तक जिन दिनों वह हैदराबाद में पत्रकारिता कर रहे थे, तब नीरा आर्य से भेंट हुई थी। उन्होंने नीरा आर्य को सम्मान व सरकारी मदद दिलाने के प्रयास किए लेकिन नीरा ने कुछ भी लेने से मना कर दिया था। नीरा उन दिनों महिलाओं के बालों में लगाए जाने वाले फूलों का जूड़ा बनाकर बेचती थींं, इसकी आय से ही उनका जीवन चल रहा था। 26 जुलाई 1998 को नीरा आर्य ने बीमारी के चलते एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।

तेजपाल बताते हैं कि नीरा आर्य 7 वर्ष की उम्र में अनाथ हो गई थीं। इसके बाद नीरा और उनके छोटे भाई बसंत को सेठ छज्जूमल ने गोद लिया था। नीरा की शिक्षा कोलकाता में हुई थी। नीरा का विवाह 1928 में कोलकाता में श्रीकांत जयरंजन से हुआ, जो अंग्रेज सरकार की अपराध अन्वेषण शाखा (CID) में इंस्पेक्टर थे। स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर इनका पति से विवाद हो गया था। इसके बाद नीरा दिल्ली के शाहदरा आ गईं। यहां से नीरा वर्ष 1942 में अपने भाई बसंत व सरदार सिंह तूफान के साथ सिंगापुर पहुंचीं और तीनों आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए। एक रात वह नेता जी सुभाष चंद्र बोस की सुरक्षा में तैनात थीं, इसी बीच उनके पति श्रीकांत ने नेताजी को गोली मारने का प्रयास किया। यह देख नीरा ने चंडी रूप धारण करते हुए संगीन से अपने पति की हत्या कर दी। महिला जासूस नीरा को बाद में अंग्रेजों ने पकड़ लिया था। कोलकाता जेल में उनपर अनगिनत अत्याचार किए गए, काला पानी भी भेजा गया। हालांकि वहां से वह अपने दो साथियों के साथ फरार हो गई थीं।

देश को आजादी मिलने के तुरंत बाद नीरा आर्य खेकड़ा आई थीं। उनकी जयंती पर 5 मार्च को खेकड़ा में हर साल एक आयोजन होता है। आर्य समाज मंदिर परिसर में इन दिनों नीरा आर्य की याद में स्मारक बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

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