कुंवारा पंचमी 2025: जानें क्यों खास है यह पितृ पक्ष की तिथि, कुंवारे पितरों का श्राद्ध कैसे और कब करें, और इससे जुड़े शुभ मुहूर्त व महत्व।
कुंवारा पंचमी 2025 इस बार 11 सितंबर को पड़ रही है। यह दिन पितृ पक्ष के पांचवें दिन यानी पंचमी तिथि को आता है और अविवाहित मृतक परिजनों का श्राद्ध करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किया जाता है, लेकिन कुंवारा पंचमी का स्थान अलग है क्योंकि इस दिन खासतौर पर उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु विवाह से पहले हुई हो।
कुंवारा पंचमी का महत्व क्यों है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, कलयुग में मानव जीवन की आयु लगभग सौ वर्ष निर्धारित है, लेकिन आजकल कई लोग कम उम्र में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु विवाह से पहले होती है, तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। ऐसे कुंवारे पितरों के लिए कुंवारा पंचमी को विशेष दिन माना गया है ताकि उनका श्राद्ध कर उनकी आत्मा की शांति की जा सके।
यदि कुंवारा पंचमी का श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो परिवार में कलह, अशांति, रोग, अपयश, अकाल मृत्यु, विवाह में विलंब या संतान की समस्या जैसी परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। इसे पितृ दोष माना जाता है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बाधाएं लाता है।
कुंवारा पंचमी पर श्राद्ध कब और कैसे करें?
श्राद्ध के शुभ मुहूर्त:
कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:53 से दोपहर 12:42 तक
रौहिणी मुहूर्त: दोपहर 12:42 से 01:32 तक
अपराह्न काल: दोपहर 01:32 से 04:02 तक
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श्राद्ध की विधि:
स्नान करके स्वच्छ और सफेद वस्त्र पहनें।
गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ और शहद मिश्रित जल से पितृजनों को जलांजली अर्पित करें।
फूल, चंदन से पूजा करें और अग्नि में भोग अर्पित करें।
पांच ब्राह्मणों को भोजन के लिए निमंत्रण दें, जिसमें एक कुंवारा ब्राह्मण होना आवश्यक है।
ॐ पाच्चजन्यधराय नमः मंत्र का जाप करें।
गीता के पांचवें अध्याय का पाठ करें।
अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें, जैसे अन्न, वस्त्र या धातु की वस्तुएं।
यदि कुंवारे बेटे या बेटी की मृत्यु हुई है, तो उनका श्राद्ध पिता की ओर से परिवार के पुरुष सदस्य जैसे भाई, भतीजा, पौत्र या प्रपौत्र कर सकते हैं।
कुंवारा पंचमी क्यों जरूरी है?
कुंवारा पंचमी पर किए गए श्राद्ध से मृत आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर पड़े पितृ दोष का निवारण होता है। यह श्राद्ध परिवार में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सौहार्द बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए पितृ पक्ष में इस दिन का विशेष महत्व है।
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