देश का बंटवारा भी नहीं बाट सका नूर-लता का प्यार

सुरों की कोकिला को हर कोई अपना आदर्श मानता है। पर क्या आपको पता है कि वह अपना आदर्श किसे मानती थी। तो आपको बतादें कि लता दीदी हमेशा से पाकिस्तानी गायिका तरन्नुम नूरजहां को अपना आदर्श मानती थीं। भले ही लता दीदी नूरजहां को अपना आदर्श बताती हो पर नूरजहां भी लता दीदी की हमेशा तारीफ किया करती थी। दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी काम किया। चाहे वो गायिकी में हो या फिर फिल्मों में एक्टिंग ही क्यों ना हो। जी, हां दरअसल नूरजहां और लता दीदी ने एक फिल्म में एक साथ काम भी किया है। 1947 से पहले नूरजहां की कर्मभूमि मुंबई रही और उस दौरान लता भी गायकी के क्षेत्र में उभर रही थीं। देश के बंटवारे के दौरान नूरजहां पाकिस्तान के लाहौर चली गईं और लता मुंबई में रहीं।

1947 के बंटवारे ने करोड़ों लोगों की तरह इन दोनों को भी एक दूसरे से दूर कर दिया था। 1951 में जब इन दोनों की अटारी बॉर्डर पर मुलाकात हुई तो ये एक दूसरे को गले लगाकर फफक-फफक कर रोने लगीं।

संगीत प्रेमी नरेश जौहर बताते हैं कि 1951 में नूरजहां के साथ एक डुएट सॉन्ग के लिए कंपोजर सी रामचंद्रा लता जी को लेकर अटारी पहुंचे थे। पर उनके पास वीजा-पासपोर्ट नहीं थे, नतीजतन उन्हें रोक लिया गया। तब सी रामचंद्र के जरिये नूरजहां से लता की बातचीत हुई। यह तय हुआ कि नूरजहां भी बॉर्डर पर ही आ जाएं। सी रामचंद्रा ने आत्मकथा में लिखा है कि दोनों की मुलाकात के लिए नो मेन्स लैंड को चुना गया। उधर से नूरजहां पति के साथ आईं और इधर से लता। दोनों लपक कर गले मिलीं और फूट-फूट कर रोने लगीं।

इतिहासकार राजू भारतन द्वारा लिखी गई नौशादनामा में कहा गया है कि लता ने एक बार कहा था कि नूरजहां उनकी मॉडल रही हैं। वह उनके गानों को सुनती आई हैं। वहीं, नूरजहां भी अक्सर कहा करती थीं कि जब भी फुरसत में होती हूं तो लता के गाने जरूर सुनती हूं।

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