Pitru Paksha 2025: क्या ऑनलाइन श्राद्ध करना शास्त्रों के अनुसार सही है? जानें विशेषज्ञों की राय और धार्मिक मान्यता

Pitru Paksha 2025 में क्या ऑनलाइन श्राद्ध करना सही है? जानें पिंडदान की शास्त्रीय मान्यता, तिथि (21 सितंबर), और पूर्वजों को प्रसन्न करने के उपाय।

Pitru Paksha 2025 Online Shraddh Right or Wrong: हिंदू धर्म में पितृपक्ष को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है। यह वह समय होता है (ऑनलाइन श्राद्ध) जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं। लेकिन बदलते समय और डिजिटल तकनीक के विस्तार के चलते अब लोग ऑनलाइन श्राद्ध का विकल्प भी चुन रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है  क्या ऑनलाइन श्राद्ध करना शास्त्रसम्मत है? क्या पितर इससे तृप्त होते हैं? आइए जानते हैं पितृपक्ष 2025 की तिथि, ऑनलाइन श्राद्ध की प्रक्रिया और इस पर धार्मिक दृष्टिकोण।

पितृपक्ष 2025 की तिथि

पितृपक्ष आरंभ: 6 सितंबर 2025 (शनिवार)

पितृपक्ष समापन (सर्वपितृ अमावस्या): 21 सितंबर 2025 (रविवार)

इस अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यही समय है जब पितर लोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और श्रद्धा की अपेक्षा करते हैं।

ऑनलाइन श्राद्ध क्या है?

आजकल कई धार्मिक संस्थान गया, हरिद्वार, काशी, नासिक जैसे तीर्थ स्थलों पर ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से श्राद्ध और पिंडदान की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। व्यक्ति अपने घर से ही इंटरनेट के माध्यम से पूजा की बुकिंग करता है और पुजारी वहां जाकर विधिपूर्वक कर्मकांड करते हैं।

क्या ऑनलाइन श्राद्ध करना सही है?

सुविधाजनक, लेकिन सीमित पुण्यफल

ऑनलाइन श्राद्ध उन लोगों के लिए सुविधाजनक है जो स्वयं तीर्थ स्थल पर नहीं जा सकते। यह एक विकल्प हो सकता है, लेकिन पूर्ण फल की प्राप्ति तभी मानी जाती है जब व्यक्ति स्वयं श्रद्धा से कर्म करता है।

शास्त्रों के अनुसार अनुचित

धर्मशास्त्रों और पुराणों के अनुसार, श्राद्ध कर्म अपने हाथों से किया जाना चाहिए। केवल पैसे देकर किसी और से करवाना पूर्वजों की तृप्ति का पूर्ण माध्यम नहीं माना गया है।

also read:- Indira Ekadashi 2025: कब है इंदिरा एकादशी? जानें व्रत की…

शास्त्रीय दृष्टिकोण से ऑनलाइन श्राद्ध क्यों गलत माना जाता है?

श्राद्ध कर्म व्यक्तिगत होता है

पितरों को जल और पिंड अर्पित करना एक व्यक्तिगत कर्तव्य है, जिसे स्वयं करना श्रेष्ठ माना गया है।

तीर्थ स्थलों की ऊर्जा और पुण्य

गया, काशी, हरिद्वार जैसे पवित्र तीर्थों पर जाकर किए गए श्राद्ध का महत्व हजार गुना अधिक माना गया है। वहाँ की आध्यात्मिक ऊर्जा पूर्वजों को शांति और मोक्ष प्रदान करती है।

शुद्ध भावना और कर्म की आवश्यकता

श्राद्ध केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि श्रद्धा और संकल्प का विषय है। जब आप स्वयं श्रद्धा से यह कार्य करते हैं, तभी उसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।

क्या करें यदि तीर्थ नहीं जा सकते?

घर पर ही पवित्र भाव से तर्पण और पिंडदान करें।

ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

पवित्र नदियों में जल अर्पण करें।

श्राद्ध मंत्रों का उच्चारण करें।

जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और तिल-गुड़ का दान करें।

Visit WhatsApp Channel: https://whatsapp.com/channel/0029Vb4ZuKSLSmbVWNb1sx1x

Exit mobile version