Barinder Kumar Goyal: बीबीएमबी केवल केंद्र सरकार की कठपुतली है; पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए पुनर्गठन की जरूरत
पंजाब के जल संसाधन मंत्री Barinder Kumar Goyal ने कहा कि बीबीएमबी केवल केंद्र सरकार की कठपुतली बन गया है तथा पंजाब के अधिकारों की रक्षा के लिए इसका पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए Barinder Kumar Goyal ने घोषणा की कि पंजाब सरकार अपने हिस्से का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं दे सकती। मानवीय आधार पर हरियाणा को पीने के लिए वर्तमान में दिया जा रहा 4,000 क्यूसेक पानी जारी रहेगा। इससे अधिक पानी की एक भी बूंद नहीं दी जाएगी।
Barinder Kumar Goyal ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा अवैध और असंवैधानिक रूप से बुलाई गई बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड) की बैठक की निंदा की।
Barinder Kumar Goyal ने बीबीएमबी के पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा कि मौजूदा बीबीएमबी केंद्र सरकार की कठपुतली बनकर रह गई है। बैठकों में न तो पंजाब की आवाज सुनी जाती है और न ही पंजाब के अधिकारों पर विचार किया जाता है, इसलिए बीबीएमबी का पुनर्गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि बीबीएमबी की विभिन्न प्रकार की बैठकें बुलाने के लिए कितने दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए, लेकिन बीबीएमबी कानून का पालन नहीं करता और अवैध रूप से रात में बैठकें बुलाता है। सदन बीबीएमबी को इस संबंध में कानून का पालन करने का निर्देश देता है।
Barinder Kumar Goyal ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि सतलुज, रावी और ब्यास नदियां केवल पंजाब से होकर बहती हैं। फिर किस आधार पर इन नदियों का पानी दूसरे राज्यों को दिया जा रहा है? जब 1981 में इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए राज्यों के बीच संधि हुई थी, तब नदियों में दर्ज और वितरित पानी की मात्रा आज की तुलना में बहुत अधिक थी। इसलिए इन नदियों के पानी के बंटवारे के लिए नई संधि बनाई जानी चाहिए।
Barinder Kumar Goyal ने कहा कि 1981 की संधि में यह स्पष्ट किया गया है कि किस राज्य को कितना पानी दिया जाना चाहिए। बीबीएमबी को इसमें बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है। अगर बीबीएमबी बैठक में यह फैसला लेता है कि एक राज्य का हक का पानी दूसरे राज्य को दिया जाएगा, तो ऐसा फैसला गैरकानूनी और असंवैधानिक होगा। बीबीएमबी को ऐसे गैरकानूनी फैसले लेने से बचना चाहिए।
Barinder Kumar Goyal ने कहा कि, “पिछले कुछ दिनों से भारतीय जनता पार्टी केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और बीबीएमबी के माध्यम से पंजाब के अधिकारों को हड़पने का प्रयास कर रही है। असंवैधानिक और अवैध तरीकों से बैठकें आयोजित करके, पंजाब के हिस्से का पानी हरियाणा को देने का प्रयास किया जा रहा है। हरियाणा ने 31 मार्च तक अपने हिस्से का पूरा पानी इस्तेमाल कर लिया है। अब भाजपा चाहती है कि पंजाब के हक का पानी हरियाणा को दिया जाए।”
Barinder Kumar Goyal ने कहा कि पिछले तीन सालों में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार ने पंजाब के हर खेत तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया है। नहरों और जलमार्गों का व्यापक निर्माण किया गया है। 2021 तक पंजाब का केवल 22 प्रतिशत क्षेत्र नहरी पानी से सिंचित था, लेकिन आज पंजाब के 60 प्रतिशत क्षेत्र तक नहरी पानी पहुंच रहा है।
Barinder Kumar Goyal ने कहा कि पंजाब के पानी की एक-एक बूंद पंजाब के लिए कीमती है। पंजाब अब अपने हिस्से का पानी किसी दूसरे राज्य को नहीं देगा। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल 2025 को हरियाणा राज्य ने पंजाब से पीने के पानी की मांग की थी। पंजाब ने उदारता दिखाते हुए अपने हिस्से का 4000 क्यूसेक पानी हरियाणा को मुहैया करवाया क्योंकि हमारे गुरुओं ने हमें सिखाया है कि प्यासे को पानी पिलाना बहुत बड़ा पुण्य है।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि हरियाणा की आबादी 3 करोड़ है और 3 करोड़ लोगों की पीने और अन्य व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए 1700 क्यूसेक पानी की जरूरत है। लेकिन, हरियाणा ने पंजाब से 4000 क्यूसेक पानी मांगा था, जो हमने मानवीय आधार पर दिया। अब हरियाणा का दावा है कि उसे 8500 क्यूसेक पानी की जरूरत है। पंजाब के पास इस मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है, लेकिन भाजपा ने जबरन असंवैधानिक और अवैध बीबीएमबी बैठक बुलाई और प्रस्ताव पारित किया कि पंजाब अपने हिस्से से हरियाणा को पानी देगा, जो हमें मंजूर नहीं है।
Barinder Kumar Goyal ने बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 को सिरे से खारिज करते हुए मांग की कि केंद्र सरकार को बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 को तुरंत निरस्त करना चाहिए। बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 को पंजाब के अधिकारों पर हमला बताते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून केंद्र सरकार को राज्यों में नदियों और बांधों को सीधे नियंत्रित करने का पूरा अधिकार देता है, भले ही ये बांध पूरी तरह से राज्य की सीमा के भीतर हों। यह भारत के संवैधानिक ढांचे के मूल रूप से विरोधाभासी है और पानी पर पंजाब के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है।