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Ramjal Setu Link Project: भजनलाल सरकार ने बदला PKC का नाम, अब राजस्थान-मध्य प्रदेश में ‘रामजल सेतु लिंक परियोजना’, 40% जनसंख्या को पेयजल देगी

Ramjal Setu Link Project: रामजल सेतु लिंक परियोजना का नामकरण मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश इस परियोजना का लक्ष्य है। दोनों राज्यों में लाखों लोगों को सिंचाई और पेयजल के लिए पानी मिलेगा। इन परियोजनाओं में चंबल और इसकी सहायक नदियों का जल उपयोग किया जाएगा।

Ramjal Setu Link Project: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने परियोजना का नाम बदलकर रामजल सेतु लिंक परियोजना कर दिया है। यह घोषणा अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर की गई थी। इस परियोजना से राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोगों को सिंचाई और पेयजल का पानी मिलेगा। नदियों को जोड़ने के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को पूरा करना इस परियोजना का लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री निवास पर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर इस बदले हुए नाम के पोस्टर का विमोचन भी हुआ। पिछले साल 17 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में इसी परियोजना के समझौते के दौरान रामसेतु जल संकल्प कलश में पार्वती, काली सिंध और चंबल नदियों का जल प्रवाहित किया गया था।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भगवान राम अयोध्या में अपने सुंदर मंदिर में विराजमान हुए हैं। भगवान राम ने सत्य की जीत के लिए समुद्र पर एक छोर को दूसरे से जोड़ने के लिए सेतु बनाया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस प्रेरणा से राजस्थान और मध्य प्रदेश को पानी से भरपूर बनाने के लिए नदियों को जोड़ने की यह बड़ी परियोजना शुरू की है।

40 प्रतिशत आबादी को पीने और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नदियों को जोड़ने के सपने को यह रामजल सेतु लिंक परियोजना पूरा करेगी। इसके पूरा होने पर राजस्थान की चालिस प्रतिशत जनसंख्या खेती और पीने के लिए पानी पा सकेगी। चंबल और उसकी सहायक नदियों कुन्नू, कूल, पार्वती, कालीसिंध और मेज के अलावा, इस परियोजना में बनास, मोरेल, बाणगंगा, रूपारेल, पार्वतनी और गंभीर नदी बेसिनों से वर्षा जल प्राप्त होगा।

राजस्थान के 17 जिलों में 2054 तक पीने का पानी

522 MCM पुनर्चक्रित पानी से 4102 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इस परियोजना में उपलब्ध होगा। MCM मिलियन क्यूबिक मीटर है। यह पानी की मात्रा मापने के लिए एक इकाई है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि परियोजना से कितना पानी मिलेगा। 2054 तक इस परियोजना से राजस्थान के 17 जिलों में पीने का पानी मिलेगा।

इस परियोजना से लगभग सवा तीन करोड़ लोगों को पीने का पानी मिलेगा। साथ ही, लगभग ढाई लाख हेक्टेयर नई जमीन पर सिंचाई हो सकेगी। और लगभग डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई के लिए अतिरिक्त पानी मिलेगा। इससे इन जिलों में नए उद्योगों को भी पानी मिल सकेगा, जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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