Sarva Pitru Amavasya 1 या 2 अक्टूबर कब है? जानिए कुतुप-रौहिण मुहूर्त, तिथि और समय
Sarva Pitru Amavasya : हर साल आश्विन कृष्ण अमावस्या पर पितृ अमावस्या मनाई जाती है। आइए तिथि और शुभ मुहूर्त को जानें..।
Sarva Pitru Amavasya,: शास्त्रों में सर्व पितृ अमावस्या विशेष है। पितृ अमावस्या हर साल आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन होती है। यह महालया अमावस्या भी है। इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करना अनिवार्य है। सभी पितृ अमावस् या पर पीपल का वृक्ष पूजा जाता है। क्योंकि इस वृक्ष को पितृलोक कहा जाता है 02 सितंबर पितृ अमावस्या है। आपको बता दें कि पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन मास की अमावस्या पर समाप्त होता है। पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू हुआ है। आइए जानें तिथि, महत्व और तर्पण प्रक्रिया..।
पंचांग के अनुसार, आश्विन अमावस्या 01 अक्टूबर, 2024 को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, तिथि 03 अक्टूबर को 12 बजे 19 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए बुधवार 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या मनाई जाएगी।
Sarva Pitru Amavasya , कुतुप मुहूर्त, 11 बजे 46 मिनट से 12 बजे 34 मिनट तक है।
रौहिण काल— 12-34 बजे से 13-21 बजे तक
हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का बहुत महत्व है। क्योंकि इस दिन पितृदिवस हैयह पितृ विसर्जन अमावस्या भी है। इस दिन लोग विशेष पूजा करते हैं। जिनकी कुंडली पितृ दोष से भरी हुई है पितृ दोष से विवाह होने में देरी, दाम्पत्य जीवन में कठिनाई, संतान होने में बाधा और करियर में समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसलिए आज अपने पूर्वजों के नाम से पित्रों का दान और तर्पण किया जाता है। जिससे वह खुश होकर आशीर्वाद दे। । इस दिन पितृ पुनः पितृलोक चले जाते हैं।
दान करते समय इस मंत्र का जप करें, “ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।”
पितृगायत्री मंत्र का जप करें
तर्पण करते समय अनिवार्य रूप से पितृ गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ खुश रहते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं।
पितृ गायत्री मंत्र में कहा जाता है कि ओऊम् देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमः