Shardiya Navratri 2025: क्यों बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है देवी की पूजा? जानिए पौराणिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्य

Shardiya Navratri 2025 में बेलपत्र की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए क्यों शिव-शक्ति की आराधना में इसे अनिवार्य माना जाता है, और इसके पीछे छिपे धार्मिक, आध्यात्मिक व वैज्ञानिक रहस्य।

Shardiya Navratri 2025 की पूजा विधियों में बेलपत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह केवल एक पत्ता नहीं, बल्कि शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक है। नवरात्र के दौरान विशेषकर षष्ठी से दशमी तक बेलपत्र पूजन की परंपरा निभाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं, पुराणों और विज्ञान – तीनों ही स्तरों पर इसका विशिष्ट महत्व है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि में बेलपत्र की पूजा क्यों की जाती है, और इसके पीछे क्या गहरा आध्यात्मिक व वैज्ञानिक रहस्य छिपा है।

बेलपत्र: देवी-शक्ति और शिव का प्रतीक

बेल का वृक्ष हिंदू धर्म में दिव्य शक्तियों का प्रतीक माना गया है। शिवपुराण और देवीभागवत पुराण के अनुसार, बेल की जड़ों में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी का वास होता है। यही कारण है कि नवरात्रि में बेल को मात्र एक पौधा नहीं, बल्कि देवी शक्ति का सजीव रूप माना जाता है।

नवरात्रि में बेल पूजन की विशेष परंपरा

नवरात्रि की षष्ठी तिथि से भक्त विशेष विधि-विधान से बेल वृक्ष की पूजा करते हैं। शोभायात्रा के साथ बेल वृक्ष तक जाकर उसे निमंत्रण दिया जाता है। सप्तमी को उसी बेल की प्राण-प्रतिष्ठा कर मंदिर में लाया जाता है और दशमी तक उसकी शिव-शक्ति के रूप में संयुक्त पूजा की जाती है। यह परंपरा दर्शाती है कि नवरात्रि में शिव और शक्ति की संयुक्त साधना कितनी महत्वपूर्ण है।

शिव-शक्ति की पूजा का सेतु है बेलपत्र

शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन नवरात्रि में इसका महत्व और बढ़ जाता है। यह काल देवी की साधना का समय होता है और शिव के बिना शक्ति अधूरी मानी जाती है। इसलिए बेलपत्र को अर्पित करने से शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है।

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लक्ष्मी का वास और समृद्धि का प्रतीक

पुराणों के अनुसार, नवरात्र में बेलपत्र चढ़ाने से मां लक्ष्मी का वास घर में स्थायी हो जाता है। यह धन, सुख और शांति की प्राप्ति का माध्यम बनता है। पहले बेल का फल “श्रीफल” कहलाता था, जो अब नारियल ने ग्रहण कर लिया है। लेकिन बेल आज भी धन और समृद्धि का प्रतीक बना हुआ है।

पापों का मोचन और मोक्ष की प्राप्ति

धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र में देवी को बेलपत्र अर्पित करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे आध्यात्मिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। अंततः साधक मोक्ष को प्राप्त करता है। इसीलिए यह पूजा केवल सांसारिक सुख ही नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति भी प्रदान करती है।

विज्ञान भी मानता है बेल का महत्व

आधुनिक विज्ञान ने भी बेल वृक्ष के औषधीय गुणों को स्वीकारा है। बेल का शर्बत हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसकी पत्तियों और फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन और मैग्नीशियम शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। यह पाचन तंत्र सुधारने, गर्मी से राहत देने और डिटॉक्स करने में भी उपयोगी है।

बेल की पूजा: आध्यात्मिक और स्वास्थ्य का संगम

नवरात्रि के दौरान बेल की पूजा केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक जीवनशैली और स्वास्थ्य साधना का भी हिस्सा है। यह मन को शांति, शरीर को ऊर्जा और आत्मा को उन्नति की ओर अग्रसर करता है। इसीलिए बेलपत्र नवरात्रि की पूजा में अनिवार्य माना गया है।

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