धर्म

Devshayani Ekadashi 2025: क्यों भगवान विष्णु 4 माह तक सोते हैं? जानिए प्रह्लाद के पौत्र राजा बलि से जुड़ी कथा

Devshayani Ekadashi 2025:”जानिए देवशयनी एकादशी पर क्यों भगवान विष्णु 4 माह तक योगनिद्रा में चले जाते हैं। राजा बलि और वामन अवतार से जुड़ी पुराणिक कथा और चातुर्मास का महत्व।”

Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है, का खास महत्व है। साल 2025 में यह एकादशी 6 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन के बाद भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं और चार महीने की इस निद्रा अवधि को चातुर्मास के रूप में जाना जाता है। इस दौरान न तो कोई शुभ कार्य किए जाते हैं और न ही मांगलिक आयोजन होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों भगवान विष्णु इतने लंबे समय तक योगनिद्रा में चले जाते हैं?

Devshayani Ekadashi 2025: योगनिद्रा के पीछे छुपा है राजा बलि की कथा|

भगवान विष्णु की इस चार महीने की निद्रा के पीछे एक रोचक पौराणिक कथा जुड़ी है, जिसमें राजा बलि की कहानी सबसे प्रसिद्ध है। राजा बलि, जो कि प्रह्लाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र थे, एक दानशील और वीर राक्षस थे। उन्होंने अपनी वीरता और दानशीलता से तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी। इससे स्वर्ग के देवता, खासकर इंद्र, चिंतित हो गए।

देवताओं ने अपनी समस्या ब्रह्मा जी के सामने रखी, जिन्होंने सलाह दी कि वे भगवान विष्णु के पास जाएं। भगवान विष्णु असमंजस में थे क्योंकि राजा बलि उनके परम भक्त थे। इस स्थिति से निपटने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के सामने भिक्षा मांगने पहुंचे।

वामन अवतार और तीन पग जमीन की मांग

Devshayani Ekadashi 2025: राजा बलि ने वामन देव को तीन पग जमीन देने की बात कही। वामन देव ने पहले दो पगों में पृथ्वी और स्वर्ग को माप लिया, लेकिन तीसरे पग के लिए जगह नहीं मिली। तब राजा बलि ने अपना सिर नीचे कर दिया, जिसे वामन देव ने अपने तीसरे पग में मापा और राजा बलि को पाताल लोक भेज दिया।

राजा बलि की दानशीलता से प्रभावित होकर वामन देव ने उन्हें पाताल लोक में राजा बनाए रखा और साथ ही चिंरजीवी (अमर) बनने का वरदान दिया।

भगवान विष्णु का पाताल लोक में निवास और चातुर्मास

भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक में रहने लगे, जिससे सृष्टि का संचालन प्रभावित होने लगा। तब देवी लक्ष्मी ने एक महिला का रूप धारण कर राजा बलि को राखी बांधी और उनसे भगवान विष्णु को मुक्त करने की प्रार्थना की। राजा बलि ने स्वेच्छा से भगवान विष्णु को मुक्त किया, लेकिन भगवान विष्णु ने उनसे वचन लिया कि वे हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवशयनी एकादशी) से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक पाताल लोक में रहेंगे।

इसी कारण भगवान विष्णु चार माह तक योगनिद्रा में रहते हैं और इस दौरान संसार का संचालन भगवान शिव करते हैं। इस काल को चातुर्मास कहा जाता है।

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