हरियाणा में 1 अगस्त से नए कलेक्टर रेट लागू होंगे, जिससे हरियाणा में जमीन खरीदना महंगा होगा। 5-25% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव, खासकर एनसीआर जिलों में असर।
हरियाणा में जमीन खरीदने वालों के लिए जल्द ही एक बड़ा बदलाव आने वाला है। राज्य सरकार ने 1 अगस्त 2025 से प्रदेश में नए कलेक्टर रेट लागू करने का फैसला किया है, जिसके तहत जमीन के रजिस्ट्रेशन और अन्य लेन-देन के लिए नई दरें लागू होंगी। इस कदम का उद्देश्य भूमि मूल्य में वृद्धि को रियल मार्केट रेट के करीब लाना और राजस्व संग्रह को बेहतर बनाना है।
राजस्व विभाग ने सभी मंडल आयुक्तों और जिला उपायुक्तों को इस संबंध में पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं। नए कलेक्टर रेट में 5 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित है, जो अलग-अलग जिलों और क्षेत्रों के आधार पर लागू होगी। पिछले साल भी कलेक्टर रेट में 12 से 32 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई थी।
विशेष रूप से, दिल्ली के निकट एनसीआर क्षेत्र के जिलों में जमीन की कीमतें पहले से ही अधिक हैं। इस बार भी रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल और पानीपत जैसे जिलों में 20 प्रतिशत तक कलेक्टर रेट बढ़ाने की संभावना है। वहीं, गुरुग्राम, सोहना, फरीदाबाद, पटौदी और बल्लभगढ़ में यह वृद्धि 30 प्रतिशत तक हो सकती है।
राज्य सरकार का यह कदम भूमि के रियल मार्केट मूल्य को अधिक पारदर्शी बनाने और कर संग्रह में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भूमि लेन-देन के दौरान उत्पन्न होने वाली जमीनी समस्याओं में कमी आएगी और निवेशकों को भी बेहतर दिशा मिलेगी।
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हरियाणा में जमीन खरीदने की कुल लागत बढ़ जाएगी
इससे पहले, हरियाणा में जमीन खरीदते समय कलेक्टर रेट आधार माना जाता था, जो कभी-कभी वास्तविक बाजार दर से कम होता था, जिससे सरकार को राजस्व घाटा होता था। नए रेट लागू होने के बाद खरीदारों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी, क्योंकि जमीन खरीदने की कुल लागत बढ़ जाएगी।
राजस्व विभाग ने जनता से अपील की है कि वे 1 अगस्त से पहले अपनी योजना बनाकर जमीन खरीदने या बेचने के निर्णय लें ताकि नए नियमों के तहत अतिरिक्त खर्च से बचा जा सके। साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नए रेट के अनुपालन पर सख्ती से नजर रखें।
हरियाणा में जमीन और रियल एस्टेट सेक्टर पर यह बदलाव आने वाले महीनों में बड़ा प्रभाव डाल सकता है, जिससे खरीदारों और विक्रेताओं दोनों को नए रुझानों के अनुरूप कदम उठाना होगा।
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