CM Mohan Yadav: दिवसीय विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन दिल्ली के लाल किले पर होगा

एमपी के CM Mohan Yadav ने महानाट्य ‘विक्रमादित्य’ की घोषणा की है। दिल्ली के लाल किले पर 12 से 14 अप्रैल को यह नाटक होगा। 250 जीव और कलाकार शामिल होंगे
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य के महान व्यक्तित्व को साझा करने के लिए महानाट्य बनाया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 12 अप्रैल, 13 अप्रैल और 14 अप्रैल को इसका मंचन होगा, जिसमें 250 से अधिक कलाकार हाथी, घोड़ों और पालकी के साथ अभिनय करेंगे। महानाट्य कलाकार अपने निजी जीवन में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं। महानाट्य में वीर रस भी देखने को मिलेगा।
उनका कहना था कि मध्य प्रदेश सरकार का महानाट्य मंचन गौरवशाली इतिहास को दुनिया के सामने लाने का एक नवीन प्रयास है। दिल्ली सरकार भी इस पुरानी रचना को सार्वजनिक करने में सहयोग कर रही है। विक्रमादित्य महानाट्य पहले भी हैदराबाद में प्रदर्शित हुआ था।
“लोग आज भी प्रेरणा लेते हैं”
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल सुशासन का एक उदाहरण है। वे एकमात्र शासक थे, जिनके जीवन की कई घटनाएं आज भी लोगों को प्रेरणा देती हैं। उनके काम और नवाचार आज भी महत्वपूर्ण हैं। हिजरी और विक्रम संवत वर्तमान में लोकप्रिय हैं। इसमें विक्रम संवत उदार परंपरा को लेकर चलने वाला संवत है, अर्थात संवत चलाने वाले को पूरी जनता का कर्ज चुकाने का साहस होना चाहिए।
60 नाम अलग-अलग हैं
उनका कहना था कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपनी दूरदृष्टि, सुशासन और व्यापार-व्यवसाय को बढ़ावा दिया जिससे यह संभव हुआ। 57 ईस्वी पूर्व में विक्रमादित्य ने विदेशी शक आक्रांताओं को पराजित कर विक्रम सम्वत् शुरू किया। विक्रम संवत में 60 अलग-अलग नाम हैं। संवत 2082 में, धार्मिक अनुष्ठानों को “सिद्धार्थ” नाम दिया गया। ये सत्तर नाम निरंतर बदलते रहते हैं। विक्रमादित्य का न्याय देश भर में फैल गया। यह सम्वत् भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार वाला कालगणना सम्वत् बन गया, जो आज भी प्रचलित है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि उज्जयिनी के सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य युग भारत वर्ष में परिवर्तन और नवजागरण की एक महत्वपूर्ण धुरी रहे हैं और उनके द्वारा प्रवर्तित विक्रमादित्य युग हमारी बहुत मूल्यवान धरोहर है। हिंदू समाज में विक्रम सम्वत् महोत्सव सिर्फ एक पर्व या नववर्ष भर नहीं है। विक्रम सम्वत् और सम्राट विक्रमादित्य भारतवर्ष की गरिमा, साहस और जागरूकता का एक अच्छा अवसर हैं। पुरातन परंपरा से शक्ति प्राप्त कर भारत को विश्वगुरु बनाने का एक देशव्यापी अभियान है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है, “यही समय है, सही समय है…” विश्व में भारत का समय है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि हम जानते हैं कि विदेशी आक्रांताओं और उपनिवेशवादी इतिहासकारों ने भारत के गौरव और ज्ञान संपदा के प्रमाणों, साक्ष्यों और स्थापत्यों को बर्बाद कर दिया। हमें उनके द्वारा हमारी संपदा को नष्ट करने के लगातार प्रमाण मिले हैं।
CM Mohan Yadav ने कहा कि नवरत्नों का समूह सम्राट विक्रमादित्य की सरकार में पहली बार देखा गया है। इन नवरत्नों में से प्रत्येक ने अलग-अलग विषयों का अध्ययन किया था। वे सुशासन की व्यवस्था बनाए। नवरत्न सभी परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से शासन कर सकते थे। 300 साल पहले शिवाजी महाराज की अष्ट प्रधान व्यवस्था इसी तरह दिखाई देती है। लोक विक्रमादित्य को उज्जैन के सार्वभौम सम्राट के रूप में जानते हैं। आज विक्रमादित्य के अनेक पुरातत् वीय प्रमाणों, लेखों और मुद्रा अवशेषों को खोजा जा सकता है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य की दानशीलता, वीरता और जनता के प्रति भावना अद्भुत थीं। इस तरह की कहानियां विक्रम-बेताल पच्चीसी और सिंहासन बत्तीसी में मिलती हैं। सभी शासक सम्राट विक्रमादित्य के सिद्धांतों का पालन करना चाहते थे। विक्रमादित्य का मूल नाम साहसांक था, और उन्हें विक्रमादित्य की उपाधि से सम्मानित किया गया. इस उपाधि में विक्रम और आदित्य का भाव निहित था, जो उल्टे क्रम को सूत्र में बदल देता था और सूर्य के समान प्रकाशमान रहता था। भारतीय अस्मिता का प्रतीक उज्जयिनी के सार्वभौम सम्राट विक्रमादित्य हैं। वे शक विजेता, सम्वत् प्रवर्तक, वीर, दानी, न्यायप्रिय, प्रजावत्सल थे। वे विज्ञान, साहित्य और संस्कृति को प्रेरित करते रहे।
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने 2000 साल पहले गणतंत्र की स्थापना की, लेकिन उन्होंने कभी स्वयं को राजा नहीं बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश का प्रधान सेवक हैं। 20 साल पहले मध्यप्रदेश सरकार ने विक्रमादित्य शोध पीठ की स्थापना की. यह पीठ विक्रमादित्य के जीवन मूल्यों पर आधारित पुस्तकों को प्रकाशित कर विभिन्न तथ्यों को सामने ला रही है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने जीवनकाल में 300 से अधिक स्थानों पर मंदिरों का निर्माण कराया और किसी को बेघर नहीं रहने दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने विक्रमादित्य काल की तरह गरीबों को घर बनाने में मदद की है। देश की सुरक्षा मजबूत हुई है। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में देश सशक्त और सक्षम हो रहा है। यही रामराज्य है, जो विक्रमादित्य काल में परिलक्षित होता था।
CM Mohan Yadav ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को 30 लाख सोलर पम्प देकर उन्हें बिजली के बिल से मुक्त करने की कोशिश की है। प्रदेश में किसानों को कर्ज से मुक्त करने की भी कोशिश जारी है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने अपने जीवनकाल में वेधशालाओं का निर्माण कराया था। वर्तमान ईरान क्षेत्र में भी वेधशाला का निर्माण उनके काल में हुआ था। उन्होंने अपने कार्यकाल में किए गए कामों को स्वर्ण अक्षरों में लिखा होना चाहिए। ईराक और मक्का के ऐतिहासिक पुस्तकालयों में पाए जाने वाले ऐतिहासिक स्रोतों में सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन और पड़ोसी देशों में उनकी महानता का उल्लेख है।
CM Mohan Yadav ने कहा कि 2 हजार वर्ष पहले सम्राट विक्रमादित्य द्वारा सुशासन के सिद्धांतों पर स्थापित शासन संचालन व्यवस्था और उनकी कीर्ति पर केंद्रित महानाट्य 12 से 13 अप्रैल को दिल्ली के लाल किले पर प्रस्तुत किया जाएगा। हमारे लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य वाक्य, “विरासत से विकास की ओर”, एक पाथेय है। विकास कार्यों में विरासत महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश सरकार ने सुशासन का पालन करते हुए विकास और जनकल्याण की सभी कार्रवाई की है। नई दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य के महामंचन के बारे में पत्रकारों से चर्चा की।