स्वास्थ्य

Thalassemia में खून सूखने लगता है, बच्चे शिकार होते हैं; डॉक्टर से जानें लक्षण और बचाव के उपाय

Thalassemia एक बच्चों से जुड़ी बीमारी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। भारत में हर साल 10 से 12 हजार बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं। यही कारण है कि 8 मई को विश्वव्यापी थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।

भारत, दुनिया में सबसे अधिक संख्या वाले देश में, आज भी Thalassemia बच्चों और उनके परिवारों को शारीरिक और भावनात्मक रूप से बहुत अधिक परेशानी का कारण बना हुआ है। थैलेसीमिया एक बच्चों से जुड़ी बीमारी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। भारत में हर साल 10 से 12 हजार बच्चे इस बीमारी का शिकार होते हैं। यही कारण है कि 8 मई को विश्वव्यापी थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है।

शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर Thalassemia में गिरने लगता है। इससे बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी होने लगता है और चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है। डॉ. ईशा कौल, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और बीएमटी की डायरेक्टर, थैलेसीमिया क्या है? क्या संकेत हैं और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?

Thalassemia क्या है?

थैलेसीमिया, एक आनुवंशिक रोग है, जिसकी वजह से शरीर में सामान्य से कम मात्रा में हीमोग्लोबिन बनता है। इससे थकान, एनीमिया और स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों का इलाज स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से हो सकता है, जो एक डोनर से स्वस्थ कोशिकाओं को उनके शरीर में खराब हो चुकी खून बनाने वाली कोशिकाओं से बदल देता है।

Thalassemia के लक्षण निम्नलिखित हैं:

बहुत थकान

कमज़ोरी

स्किन पीला होना

एनीमिया रोग

सांस लेने में परेशानी

थैलेसीमिया से बचने के उपाय क्या हैं?

लेकिन ब्लड ट्रांसफ्यूजन इसका अस्थायी समाधान है, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही पूरी तरह से ठीक कर सकता है। कई मरीजों के सहोदर भाई-बहन भी अपने मैचिंग डोनर नहीं हैं, इसलिए ट्रांसप्लांट ही उनकी ज़िंदगी का एकमात्र सहारा होता है। किंतु लाखों में से एक मैचिंग डोनर खोजना सबसे बड़ी मुसीबत है।

थैलेसीमिया में निम्नलिखित जांच कराएं:

कुल ब्लड काउंट: लाल रक्त कोशिकाओं की गुणवत्ता और मात्रा को निर्धारित करता है।

हीमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफोरेसिस: रक्त में मौजूद विभिन्न हीमोग्लोबिन प्रकारों की पहचान करता है, जिसमें असामान्य वेरिएंट भी शामिल हैं।

जेनेटिक टेस्टिंग: थैलेसीमिया के कारण जेनेटिक उत्परिवर्तन का पता लगाता है

आयरन स्टडीज़: रक्त में आयरन की मात्रा बताता है, जो थैलेसीमिया और आयरन की कमी को निर्धारित करने में मदद करता है।

बोन मैरो बायोप्सी: यह टेस्ट थैलेसीमिया की गंभीरता को पहचानने और ट्रीटमेंट कैसी शुरू करनी है यह बताता है।

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