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Apara Ekadashi 2025: मई में अपरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? जानें पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Apara Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी है, जो एक महत्वपूर्ण वैष्णव एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है

Apara Ekadashi 2025: अपरा एकादशी का व्रत पापों को दूर करने और मोक्ष पाने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि अपरा एकादशी का व्रत बहुत पुण्यदायी है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से बहुत बड़े पाप मिट जाते हैं। यह व्रत करने से व्यक्ति को बहुत सारा धन, यश और सम्मान मिलता है। यह व्रत कहता है कि ब्रह्महत्या, गोहत्या और परनिंदा जैसे पापों से भी छुटकारा मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु का वामनरूप पूजा जाता है। उसकी एकादशी की कहानी सुनने और पढ़ने से हजार गौदान मिलते हैं।

कब अपरा एकादशी है?

अपरा एकादशी का व्रत पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रखा जाता है। 23 मई को, ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि देर रात 1 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, तिथि 23 मई को रात 10 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में, उदयातिथि के अनुसार 23 मई को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

अपरा एकादशी की पूजा विधि

दशमी तिथि की रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन करें। एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें। गंगाजल को स्नान के जल में मिलाकर पीना शुभ माना जाता है। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। चंदन, फूल, धूप और दीप जलाकर उनकी पूजा करें। तुलसी के एक दल को अवश्य अर्पित करें। भगवान विष्णु को फल, मिठाई और तुलसी से भोग लगाएं।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जैसे विष्णु मंत्रों का जाप करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी बहुत फायदेमंद होता है। अपरा एकादशी की व्रतकथा सुनें या पढ़ें। भगवान विष्णु की पूजा करें। अपनी क्षमतानुसार गरीबों को कपड़े, खाना या अन्य आवश्यक वस्तुएं दें। द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद व्रत खोलें।

अपरा एकादशी का महत्व

अपरा एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत माना जाता है कि सभी प्रकार के पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही पुण्य मिलता है, जो गंगा स्नान, स्वर्णदान, भूमिदान और गौदान के समान है। धन और सुख की प्राप्ति होती है। मान-सम्मान और सफलता बढ़ते हैं। मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और उनकी कृपा पाने के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

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