CM Mohan Yadav ने घोषणा की, पचमढ़ी अभ्यारण का नाम राजा भभूत सिंह पर रखा जाएगा

CM Mohan Yadav Announcement: मंत्रि परिषद की बैठक पचमढ़ी में राजा भभूत सिंह के योगदान को स्मरण करने के लिए आयोजित की गई है। राजा भभूत सिंह के योगदान सामने लाने के लिए सीएम ने ये प्रयास किया।
CM Mohan Yadav Announcement: 3 जून, मंगलवार को CM Mohan Yadav ने कैबिनेट की बैठक बुलाई। उस समय, उसने घोषणा की कि पचमढ़ी अभयारण्य अब राजा भभूत सिंह पचमढ़ी अभयारण्य के नाम से जाना जाएगा। यह राजा भभूत सिंह के पर्यावरण प्रेम और पचमढ़ी को बाहरी शक्तियों से बचाने के निरंतर प्रयत्नों को समर्पित है।
CM Mohan Yadav ने कहा, “अभयारण्य में राजा भभूत सिंह के जीवन, संघर्ष, वीरता और योगदान से संबंधित जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। यह कदम अभयारण्य की पहचान को मजबूत करेगा और स्थानीय गौरव को भी बढ़ावा देगा। यह क्षेत्र के ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व का प्रतीक बनेगा।”
पचमढ़ी में कैबिनेट बैठक हुई
मंत्रि-परिषद के सदस्यों को पचमढ़ी के राजभवन में मंत्रि-परिषद की बैठक से पहले CM Mohan Yadav ने संबोधित किया। इस दौरान, उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज राजा भभूत सिंह से बहुत प्रभावित है। उनकी वीरता की कहानियां आज भी लोगों के मन में जीवंत हैं। मंत्रि परिषद की बैठक पचमढ़ी में राजा भभूत सिंह के योगदान को स्मरण करने के लिए आयोजित की गई है। यह समाज को राजा भभूत सिंह का योगदान बताने का प्रयास है।
राजा भभूत सिंह तात्या टोपे के प्रमुख सहयोगी थे
CM Mohan Yadav ने बताया कि राजा भभूत सिंह सन् 1857 की आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तात्या टोपे के प्रमुख सहयोगी थे। भभूत सिंह नर्मदांचल के शिवाजी कहलाते हैं क्योंकि वे छापामार युद्ध करते हैं। राजा भभूत सिंह को पकड़ने के लिए मद्रास इन्फेंट्री को ही फोन किया गया था। 1860 तक, राजा भभूत सिंह ने अपनी सेना के साथ अंग्रेजों से लगातार सशस्त्र संघर्ष किया, जिसमें वे पराजित होते रहे। राजा भभूत सिंह को दो साल बाद अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया और 1860 में उन्हें फांसी दे दी गई।
CM Mohan Yadav ने कहा, “राजा भभूतसिंह की वीरता और बलिदान को कोरकू समाज ने लोकगीतों और भजनों के माध्यम से जीवित रखा है।” आज भी उनकी गाथाएँ पचमढ़ी क्षेत्र के गाँवों, मंदिरों और लोक संस्कृति में सुनाई जाती हैं। राजा भभूतसिंह न सिर्फ एक योद्धा थे, बल्कि एक जनजातीय चेतना और आत्मसम्मान का प्रतीक भी बन गए। 1865 की अंग्रेज अधिकारी एलियट की सेटलमेंट रिपोर्ट में भी राजा भभूतसिंह की वीरगाथा दर्ज है।”
“राजा भभूतसिंह स्वतंत्रता संग्राम का गौरव”
उनका कहना था कि राजा भभूतसिंह एक नाम है जो पूरे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का गौरव है, न सिर्फ कोरकू समाज का। उनका जीवन आध्यात्मिक शक्ति, आदिवासी अस्मिता और देशभक्ति का जीवंत उदाहरण है। राजा भभूत सिंह का जीवन अनुकरणीय है, उनके बलिदान और शौर्य की गाथा को राष्ट्रीय पटल पर लाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है।