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UP News: योगी सरकार देने जा रही बड़ी राहत; नर्सरी स्कूल, क्रैच या नया घर बनाने वालों को नक्शा की जरूरत नहीं

UP News: अब नर्सरी स्कूल, क्रैच, होमस्टे और आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सक और अधिवक्ता को अपना कार्यालय बनाने या घर बनवाने के लिए नक्शा पास नहीं कराना होगा। योगी सरकार इसके लिए राहत देने जा रही है।

UP News: अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को शहरों में नर्सरी स्कूल, क्रैच, होमस्टे और आर्किटेक्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, चिकित्सक और अधिवक्ता के कार्यालयों को नक्शा पास नहीं करना होगा। इसी तरह, सौ वर्ग मीटर के नए घर और चालीस वर्ग मीटर के दुकान का नक्शा पास करने की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी। बस इसके लिए पंजीकरण कराना होगा। इसका प्रावधान प्रस्तावित भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 में किया जा रहा है। आवास विभाग ने इसे प्रकाशित करते हुए आपत्तियां मांगी हैं। इसके बाद, इसे कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर लागू किया जाएगा।

यही बात है कि 500 वर्ग मीटर के आवासीय भवन और 200 वर्ग मीटर के वाणिज्यिक भवन के लिए ऑनलाइन नक्शे मंजूर किए जाएंगे। 24 मीटर और उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर मिश्रित भू-उपयोग को विकास प्राधिकरणों द्वारा अनुमोदित और स्वीकृत लेआउट के साथ अनुमति दी जाएगी। मास्टर प्लान में निर्धारित मिश्रित भू-उपयोग क्षेत्रों में छोटी चौड़ाई की सड़कों को इस्तेमाल किया जाएगा। 60 वर्ग मीटर से अधिक कार्पेट एरिया वाले भवनों में बेस एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) में छूट भी दी जा रही है, जिससे किफायती आवास बनाया जा सके।

सेटबैक सुनिश्चित करने के बाद शेष भूखंड पर निर्माण करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन ऐसा धरोहर या संग्रहालय क्षेत्रों में नहीं होगा। अधिकांश श्रेणियों में एफएआर 300 तक बढ़ा गया है। 45 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर एफएआर सीमा नहीं है। इससे महंगी शहर की जमीन का अधिक उपयोग हो सकेगा। इसके अलावा ग्रीन रेटेड भवनों के लिए अतिरिक्त एफएआर मुफ्त देने की व्यवस्था की जा रही है।

भवनों की ऊंचाई पर प्रतिबंध नहीं है। यह आवासीय भूखंड विकास या वैधानिक या प्रशासनिक प्रतिबंधों (जैसे हवाई अड्डे, एसआई स्मारकों) पर नहीं होगा। 15 मीटर की ऊंचाई वाले घरों के लिए सेटबैक को चारों ओर से 5 मीटर तक बनाया गया है। 51 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों में सेटबैक को सभी ओर से 16 मीटर से घटाकर 15 मीटर (आगे की ओर) और 12 मीटर (शेष ओर) करने की अनुमति है। इसी तरह कम जमीन पर अधिक ऊंचाई तक निर्माण की अनुमति दी जा रही है।

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