तीज सिंजारा 2025: हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाया जाने वाला सिंजारा पर्व, जानिए इसकी खास सामग्री, परंपराएं और महत्व। शादीशुदा महिलाओं के लिए यह त्योहार सौभाग्य और खुशहाली लेकर आता है।
हरियाली तीज का त्योहार शादीशुदा महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की खुशी में मनाया जाता है। इस पवित्र पर्व से ठीक एक दिन पहले ‘सिंजारा’ या ‘सिंधारा दूज’ का उत्सव मनाया जाता है, जो मुख्य रूप से बहू-बेटियों के लिए विशेष होता है। 2025 में यह पर्व 26 जुलाई को मनाया जाएगा, जबकि हरियाली तीज 27 जुलाई को है।
तीज सिंजारा पर्व क्या है?
तीज सिंजारा या सिंधारा दूज हरियाली तीज से एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसे ‘श्रृंगार दिवस’ भी कहा जाता है। इस दिन बहू-बेटियों के घर पर विशेष रूप से सिंजारा भेजा जाता है, जिसमें श्रृंगार के सामान, मिठाइयां और उपहार शामिल होते हैं। इस परंपरा का उद्देश्य महिलाओं को सुंदरता, खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद देना है।
तीज सिंजारा में क्या-क्या होता है?
तीज सिंजारा में वस्त्र, हरी चूड़ियां, सोने के आभूषण, मांग टीका, काजल, मेहंदी, नथ, बिंदी, सिंदूर, गजरा, कमरबंद, बिछिया, पायल, झुमके, बाजूबंद, अंगूठी, कंघा, और पारंपरिक मिठाइयां जैसे घेवर, रसगुल्ला, मावे की बर्फी शामिल होते हैं।
सिंजारा कैसे मनाया जाता है?
तीज सिंजारा के दिन बहू-बेटियों को नौ-नौ प्रकार की मिठाइयां और पकवान खिलाए जाते हैं। महिलाएं सिंजारे में मिली मेहंदी अपने हाथों में रचाती हैं, जो अगले दिन तीज के व्रत का प्रतीक होता है। कई क्षेत्रों में महिलाएं एक-दूसरे को सिंजारे के उपहार भी देती हैं। शाम को देवी पार्वती की पूजा के बाद सिंजारा सास को भेंट किया जाता है। इस दिन झूले डालने की भी प्रथा है, जिससे त्योहार की खुशियाँ और बढ़ जाती हैं।
सिंजारा का महत्व
सिंजारा पर्व महिलाओं के लिए सौंदर्य, प्रेम और शुभकामनाओं का प्रतीक है। यह पर्व पारिवारिक संबंधों को मजबूत करता है और महिलाओं के बीच सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देता है। यह त्योहार घर-परिवार में खुशहाली, प्रेम और सौभाग्य लाता है।
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