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रूस और यूक्रेन युद्ध का दिखने लगा असर: कच्चे तेल के दाम 95 से 100 डॉलर प्रति बैरल रेंज में रहने का अनुमान

रूस और यूक्रेन के बीच जारी गतिरोध धीरे-धीरे लड़ाई में तब्दील होता जा रहा है. रूस अब यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच गया है. वहीं, यूक्रेन भारत समेत दुनिया के तमाम देशों से समर्थन की गुहार लगाई है. इस बीच दोनों देशों के बीच जारी विवाद का असर इंटरनेशनल मार्केट पर दिखाई देने लगा है. यही वजह है कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि देखाई देनी शुरू हो गई है. कच्चे तेल के दामों में कम से मध्यम अवधि में 90 से 100 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहने की उम्मीद है.

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भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है

इस बीच भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी तनातनी के दौरान ओएमसी अगर मौजूदा कीमतों को संशोधित करने का फैसला लेती है तो यह पेट्रोल और डीजल  ( petrol and dieselकी बिक्री कीमतों में 8 से 10 रुपये जोड़ सकती है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. इसके साथ ही उच्च ईंधन लागत का व्यापक प्रभाव एक सामान्य मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को गति देगा. जानकारों की मानें तो भारत का मुख्य मुद्रास्फीति गेज ( India’s main inflation gaugeपहले से ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) है, जो खुदरा मुद्रास्फीति को दर्शाता है, जनवरी में भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) की लक्ष्य सीमा को पार कर चुका है।

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उद्योग की गणना के मुताबिक कच्चे तेल की कीमतों ( crude oil pricesमें 10 फीसदी की वृद्धि से CPI मुद्रास्फीति में लगभग 10 आधार अंक जुड़ते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ब्रेंट क्रूड ऑयल के दामों में 105 डॉलर प्रति बैरल पर धकेलने के बाद बीते कल यानी शुक्रवार को कीमत गिरकर 95 डॉलर प्रति बैरल हो गई. 4 सितंबर 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल से 105 डॉलर प्रति बैरल पर धकेल देखा गया है.

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