विजय बरसे के जीवन ने अमिताभ बच्चन की फ़िल्म ‘झुंड’ को प्रेरित किया

अमिताभ बच्चन की फिल्म “झुंड” पिछले शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फ़िल्म में अमिताभ बच्चन झुग्गी के बच्चों को फुटबॉल कोचिंग देते नज़र आ रहे है ।आपको बात दे कि यह फ़िल्म , स्लम सॉकर नाम की संस्था जिसके संस्थापक विजय बरसे जी के जीवन से प्रेरित है, जो पिछले 20 साल से गरीब बच्चों को फ़्री में फुटबॉल कोचिंग दे रहे हैं ।विजय बरसे की वास्तविक कहानी जिनकी यात्रा ने अमिताभ बच्चन की फिल्म झुंड को प्रेरित किया जो की नागराज मंजुले की झुंड दर्शकों के साथ साथ आलोचकों से भी प्रशंसा बटोर रही है। इस जीवनी पर आधारित स्पोर्ट्स फिल्म में अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में है और आकाश थोसर और रिंकू राजगुरु मुख्य भूमिका में है।

विजय बरसे की वास्तविक जीवन की कहानी, जिनकी यात्रा ने अमिताभ बच्चन की ‘झुंड’ को प्रेरित किया-
विजय बरसे की वास्तविक जीवन की कहानी से जुड़ी एक फिल्म झुंड  शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। इस स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म को नागराज मंजुले ने डायरेक्ट किया है। ये फिल्म एक रिटायर्ड खेल प्रोफेसर विजय बरसे की जिदंगी पर आधारित है, जिन्होंने झुग्गी बस्ती में रहने वाले बच्चों का जीवन संवारा था। विजय 36 साल तक खेल प्रोफेसर की नौकरी करने के बाद रिटायर्ड हो गए थे, इसके बाद उन्होंने जो काम किया वो काबिले तारीफ था।

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विजय बरसे ,आमिर खान के शो सत्यमेव जयते एक एपिसोड में दिखे थे। इस शो में ही उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़े एक बड़े राज का खुलासा किया था। इस शो में उन्होंने बताया था कि 2000 में नागपुर के हिसलोप कॉलेज में एक खेल टीचर के रूप में काम करते हुए उन्होंने एक बार कुछ बच्चों को खेलते हुए देखा,जब वे बारिश के मौसम में एक टूटी हुई बाल्टी को लात मारकर मारकर खेल रहे थे। इन्हें देखते ही उनके दिमाग में एक आइडिया आया और इसी आइडिया को पूरा करने उन्होंने जी जान लगा दी।विजय बरसे की जीवन कहानी कई लोगों के लिए एक प्रेरणा है और एक संकेत है कि एक व्यक्ति की दृढ़ता दुनिया को बदल सकती है। हम उन कहानियों को देखकर बहुत खुश हैं जैसे कि उन्हें वह पहचान मिलती है जिसके वे हकदार हैं।



					
				
						
						
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