उत्तराखंड सरकार ने भूमि पूलिंग नियमावली 2025 को दी मंजूरी, मिलेगा विकसित जमीन और आजीविका भत्ता

उत्तराखंड सरकार ने भूमि पूलिंग नियमावली 2025 को मंजूरी दी, जिसके तहत भूमि मालिकों को विकसित जमीन और आजीविका भत्ता मिलेगा। जानें इस नई नीति के लाभ और विशेषताएं।

उत्तराखंड में भूमि पूलिंग नियमावली 2025 को कैबिनेट ने मंजूरी दी, जो राज्य में सुनियोजित शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नीति के तहत, अब भूमि मालिकों को विकसित भूमि के बदले उनकी ज़मीन वापस दी जाएगी और इसके साथ-साथ उन्हें आजीविका भत्ता भी मिलेगा।

भूमि पूलिंग योजना का मुख्य उद्देश्य

इस नई नीति के तहत, प्राधिकरण जमीन का अधिग्रहण करेंगे और भूमि मालिकों को एक हिस्सा विकसित जमीन के रूप में वापस करेंगे, जबकि बाकी की ज़मीन बेची जा सकेगी। भूमि मालिक अपनी ज़मीन को स्वेच्छा से सरकार या प्राधिकरण को विकास के लिए सौंपेंगे और बदले में विकसित रिहायशी या व्यावसायिक प्लॉट और आर्थिक लाभ प्राप्त करेंगे।

क्या मिलेगा भूमि मालिकों को?

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पूलिंग योजना के कार्यान्वयन की प्रक्रिया

इस योजना में 13 चरण तय किए गए हैं, जिसमें 90 दिनों में बेस मैप और ड्राफ्ट लेआउट तैयार किया जाएगा। आपत्तियों की सुनवाई 15 दिन में होगी, और अंतिम लेआउट का प्रकाशन 15 दिनों के भीतर किया जाएगा। भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया 30 दिनों के भीतर पूरी होगी।

विकास पर अस्थायी रोक और शुल्क में राहत

भूमि पूलिंग नीति लागू होने के बाद उस क्षेत्र में दो वर्षों के लिए निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा, जिसे 6-12 महीने और बढ़ाया जा सकता है। भूमि मालिकों से ज़मीन लेकर सरकार उन्हें पुनर्गठित प्लॉट वापस करेगी, और इस पर कोई स्टांप ड्यूटी या रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लिया जाएगा।

भूमि पूलिंग नीति की सफलता के उदाहरण

उत्तराखंड सरकार ने भूमि पूलिंग नीति को लागू करने से पहले आंध्र प्रदेश और दिल्ली में इसकी सफलता का उदाहरण लिया है। आंध्र प्रदेश में अमरावती के विकास के लिए लगभग 33,000 एकड़ भूमि पूल की गई, जिससे 51,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित हुआ। वहीं दिल्ली में भूमि पूलिंग नीति के तहत 20,000 हेक्टेयर भूमि को अधिसूचित किया गया, जिससे 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का निजी निवेश मिलने की संभावना है।

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