Uttarakhand News: मुख्यमंत्री धामी सरकार ने कहा कि उत्तराखंड में EWS प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी
Uttarakhand News: इस अनियमितता को दूर करने के लिए एक जांच कराने का फैसला किया गया है। इस प्रक्रिया में, नए सर्टिफिकेट जारी करने से पहले पुराने प्रमाणपत्रों की जांच होगी।
Uttarakhand News: उत्तराखंड में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए बनाए गए सभी EWS प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। इस दौरान गलत बनाए गए प्रमाणपत्र रद्द किए जाएंगे। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सभी प्रमुख सचिव, सचिव, कमिश्नर और डीएम को जांच और सत्यापन करने का आदेश दिया।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में EWS प्रमाणपत्र के दुरुपयोग की शिकायतें मिल रही हैं। यह भी पता चला कि अयोग्य लोगों को भी प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं।
इस अनियमितता को दूर करने के लिए एक जांच कराने का फैसला किया गया है। इस प्रक्रिया में, नए सर्टिफिकेट जारी करने से पहले पुराने प्रमाणपत्रों की जांच होगी। तहसीलदार स्तर के सक्षम अधिकारी भी इसका सत्यापन करेंगे। इसके बाद, सभी शर्तों को पूरा करने वाले व्यक्ति की आय और संपत्ति का प्रमाणपत्र बनाया जाए।
रतूड़ी ने कहा कि कार्रवाई होगी अगर जांच में पाया गया कि आय और संपत्ति प्रमाणपत्र गैरकानूनी या कानून के खिलाफ बनाया गया है। अवैध प्रमाणपत्र तुरंत खारिज करेंगे। साथ ही संबंधित व्यक्ति और प्रमाणपत्र जारी करने वाले अफसर के खिलाफ भी कार्रवाई होगी
मुख्यमंत्री धामी ने प्रमाणपत्रों का दुरुपयोग रोकने के लिए कदम उठाया, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आय एवं संपत्ति प्रमाणपत्रों की जांच शुरू कर दी है, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया। मुख्यमंत्री ने शिकायतों को देखते हुए कठोर कार्रवाई के आदेश दिए। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने 30 दिसंबर को मुख्य सचिव और सचिव स्वास्थ्य से इस मामले की जांच की मांग की। स्वास्थ्य विभाग पहले ही इसकी जांच कर चुका था।
पढ़ाई और नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलता है
2019 से उत्तराखंड में EWS प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस प्रमाणपत्र से नौकरी और शिक्षण संस्थानों में भर्ती में दस प्रतिशत आरक्षण मिलता है। उत्तराखंड लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा-3 की उपधारा (2) (ख) के तहत ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र पर कड़े नियम हैं। इसके तहत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाले व्यक्ति के परिवार की कुल वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए। आय भी लाभार्थी के आवेदन के वर्ष से पूर्व वित्तीय वर्ष की होनी चाहिए।