Vastu Tips: कलावा या मौली कलाई से कब उतारना चाहिए? ज्योतिषी से मौली बांधने और उतारने के नियम जाने
Vastu Tips: हिंदू धर्म में मौली या कलावे को मांगलिक कार्यों में बांधना बहुत शुभ माना जाता है। लेकिन मौली बांधने के नियमों का खास ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि इसका आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और चिकित्सीय महत्व कहीं ज्यादा है।
Vastu Tips for wearing mauli: हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधना बहुत शुभ माना जाता है। मौली बांधने की परंपरा बहुत पुरानी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रक्षा सूत्र के रूप में मौली को बांधने की परंपरा तब से शुरू हुई जब भगवान वामन ने असुरों के राजा बलि की अमरता के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। मौली सूत, या कच्चे धागे से बनाई जाती है। सनातन धर्म में यह शुभता और धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।लेकिन रंग उतरता हुआ और बहुत पुराना कलावा पहनना गलत है। ज्योतिषी मुकुल रस्तोगी कहते हैं कि मौली बांधते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, अगर नहीं तो जातक को नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं।
मौली बांधने के नियम:
आचार्य मुकुल रस्तोगी का कहना है कि कलावा या मौली को लंबे समय तक बांधने से नकारात्मक परिणाम मिलने लगते हैं। कलावे को दस से बारह दिन से अधिक नहीं पहनना चाहिए। इसके बाद नया कलावा धारण कर सकते हैं।
एक बार कलावा उतारने के बाद उसे फिर से हाथ पर नहीं बांधना चाहिए, क्योंकि वास्तुशास्त्र कहता है कि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे जीवन नेगेटिव हो जाता है। इसलिए उतारे गए कलावे को नदी में बहाना चाहिए।
वास्तु के नियमों के अनुसार, पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। वहीं, मैरिड फीमेल्स को बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
मान्यता है कि मंगलवार और शनिवार के दिन पुरानी मौली को उतारकर नई मौली को बांधना सही माना गया है। इसके अलावा पर्व-त्योहार,मांगलिक कार्यों और विशेष मौकों पर भी मौली बांध सकते हैं।
मौली बांधते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि कलावे को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए।