जसप्रीत बुमराह की मौजूदगी में क्यों ढीले पड़ जाते हैं बाकी गेंदबाज? क्या एक खिलाड़ी के भरोसे जीतेगी टीम इंडिया?

जसप्रीत बुमराह की मौजूदगी में टीम इंडिया को क्यों नहीं मिल रही जीत? आंकड़ों और प्रदर्शन के साथ जानिए क्या है इसकी असली वजह।

भारतीय टीम के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह का नाम आते ही उम्मीदें सातवें आसमान पर पहुंच जाती हैं। उनकी रफ्तार, सटीक लाइन-लेंथ और खतरनाक यॉर्कर बल्लेबाजों की नींद उड़ा देते हैं। लेकिन मौजूदा भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में एक दिलचस्प ट्रेंड सामने आया है। बुमराह जब-जब मैदान पर उतरे, टीम इंडिया को हार मिली और जब वो प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे, भारत ने शानदार जीत दर्ज की। ऐसे में सवाल उठता है — क्या टीम इंडिया बाकी गेंदबाजों की जिम्मेदारी भूलकर सिर्फ बुमराह के भरोसे बैठ गई है?

जसप्रीत बुमराह का टेस्ट करियर: आंकड़ों में महारथ

जसप्रीत बुमराह के टेस्ट आंकड़ों की बात करें तो उन्होंने अब तक कुल 47 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उन्होंने 217 विकेट हासिल किए हैं। इस दौरान उन्होंने 15 बार पारी में पांच विकेट लिए हैं और सात बार चार विकेट अपने नाम किए हैं। बुमराह का गेंदबाजी औसत 19.48 और इकॉनमी 2.77 रही है। ये आंकड़े साफ बताते हैं कि बुमराह सिर्फ टीम इंडिया के ही नहीं, बल्कि विश्व क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में शुमार हैं।

जसप्रीत बुमराह के साथ भारत का टेस्ट रिकॉर्ड कैसा रहा है?

अगर जसप्रीत बुमराह की मौजूदगी में भारत के टेस्ट प्रदर्शन की बात करें तो उन्होंने जिन 47 मैचों में खेला, उनमें से भारत ने सिर्फ 20 टेस्ट में जीत दर्ज की, जबकि 23 मुकाबलों में हार का सामना करना पड़ा। 4 मैच ड्रॉ रहे। यह रिकॉर्ड बहुत प्रभावशाली नहीं कहा जा सकता, खासकर तब जब बुमराह जैसे खिलाड़ी की बात हो रही हो। सवाल यह भी उठता है कि जब टीम का सबसे भरोसेमंद गेंदबाज मैदान पर हो और फिर भी जीत हाथ से फिसल जाए, तो समस्या आखिर कहां है?

क्या जसप्रीत बुमराह की वापसी दबाव बढ़ा देती है?

भारत और इंग्लैंड के बीच मौजूदा सीरीज में पहला और तीसरा टेस्ट बुमराह ने खेला और दोनों ही मैचों में भारत को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, दूसरे टेस्ट में जब बुमराह को आराम दिया गया, तो भारत ने जोरदार प्रदर्शन कर मैच अपने नाम कर लिया। यह इत्तेफाक हो सकता है, लेकिन इससे यह सवाल जरूर उठता है कि क्या टीम बुमराह की मौजूदगी में बाकी गेंदबाजों की भूमिका को हल्के में लेने लगती है?

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वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते बचे हैं सिर्फ एक मुकाबले

सीरीज की शुरुआत से ही यह तय था कि जसप्रीत बुमराह वर्कलोड मैनेजमेंट के तहत पांच में से केवल तीन टेस्ट ही खेल पाएंगे। अब जबकि सीरीज का समीकरण भारत के खिलाफ जा रहा है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि बचे हुए दो टेस्ट में से कौन-सा मुकाबला वह खेलेंगे — मैनचेस्टर या ओवल? और क्या इस बार बुमराह टीम इंडिया को जीत की ओर ले जाने में सफल होंगे?

टीमवर्क से ही मिलेगा जीत का रास्ता

जसप्रीत बुमराह जैसा खिलाड़ी किसी भी टीम के लिए अमूल्य होता है, लेकिन क्रिकेट एक टीम गेम है। सिर्फ एक खिलाड़ी के दम पर जीत की उम्मीद करना उचित नहीं। अगर भारत को यह सीरीज अपने नाम करनी है, तो बाकी गेंदबाजों को भी उतना ही जिम्मेदारी से खेलना होगा जितना बुमराह निभा रहे हैं। तभी जाकर बुमराह की मौजूदगी वाकई टीम के लिए गेम-चेंजर साबित होगी।

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