पूर्णिमा व्रत उद्यापन: इस तरह करें उद्यापन, तुम्हें पूरा व्रत का लाभ मिलेगा

पूर्णिमा व्रत उद्यापन

पूर्णिमा व्रत उद्यापन: शास्त्रों में पूर्णिमा के व्रत को अच्छे परिणाम मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है की आप कोई भी व्रत करें उसका उद्यापन आपको जरुर करना चाहिए। उद्यापन के बिना व्रत का फल अपूर्ण नहीं होता। कहते हैं कि पूर्णिमा का दिन भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विशेष दिन है। इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा मिलेगी। यही कारण है कि व्रत करने के साथ-साथ उसका उद्यापन करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानें पूर्णिमा व्रत की उद्यापन प्रक्रिया।

श्री कृष्ण ने माता यशोदा को पूर्णमासी व्रत की विधि जानने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा, “हे माता! मार्गशीर्ष (अगहन), माघ या

पूर्णिमा व्रत उद्यापन विधि

पूर्णिमा व्रत उद्यापन: वैशाख की पूर्णिमा को व्रत शुरू करके भादों या पौष को छोड़ देना चाहिए। षोडशोपचार पूजन शिव और पार्वती की शास्त्रोक्त विधि से किया जाना चाहिए। आटे का एक दीपक बनाकर उसमें घी और बत्ती डालकर जलाएं। हर माह एक दीपक बढ़ाना चाहिए। जब बत्तीस दीपक या बत्तीस पूर्णमासी पूरे हो जाएँ, तो ज्येष्ठ या किसी भी पूर्णमासी को उद्यापन करना चाहिए।

चतुर्दशी के दिन भोजन करने से बचें। फिर रात्रि को एक मण्डप बनाकर मिट्टी का एक कलश जल से भरकर उसके बीचोंबीच रखें। बांस के एक पात्र से उसे ढक दें। फिर वस्त्र से उसे ढक दें। फिर सोने की एक उमा और महेश्वर की प्रतिमा उस पर स्थापित करें। पुस्तक के शुरू में बताई गई विधि के अनुसार उनका पूजन करें और धूप, दीप, नैवेद्य और फलं-फूल अर्पित करें। रात्रि में गाना-बजाना, कीर्तन, नृत्य करके जागरण करें। प्रातःकाल स्नान-ध्यान करके अग्नि स्थापित करके 108 बार ‘ऊं ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र से आहुति दें. इसमें तिल, जौं, चावल, शर्करा, घृत और अन्य सुगन्धित सामग्री शामिल हैं। फिर ॐ उमाय नमः कहकर

सहित प्रसाद ग्रहण करें। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं, सुरेश्वरं ! यत्पूजितं मया देवं, परिपूर्णम् तदस्तु मे।

पूर्णिमा व्रत उद्यापन: अब उपरोक्त श्लोक का पाठ करें और कहें कि हे देव! मैंने जो पूजन किया है, वह मन्त्र, क्रिया और भक्ति के बिना आपकी कृपा से पूरा हो जाएगा। नमस्कार, देव! ऐसा करते हुए विसर्जित करें, गुरु को नमस्कार करें और दूध देने वाली गाय को बछड़े के साथ दान में दें। श्रीकृष्ण ने कहा कि ऐसा करने वाली स्त्रियां कभी विधवा नहीं होतीं। वे इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ भोजन करके अंततः स्वर्ग में जाती हैं।

फेसबुक और ट्विटर पर हमसे जुड़ें और अपडेट प्राप्त करें:

facebook-https://www.facebook.com/newz24india

twitter-https://twitter.com/newz24indiaoffc

Exit mobile version