India Mysterious Temples: जानिए भारत के 5 रहस्यमयी मंदिर जहां प्रसाद खाना या घर ले जाना वर्जित है। मेहंदीपुर बालाजी, कामख्या देवी और काल भैरव जैसे मंदिरों की अनोखी परंपराएं।
India Mysterious Temples: भारत अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। हर राज्य, हर शहर और गांव में कोई न कोई मंदिर अपने रहस्यों और परंपराओं के लिए जाना जाता है। सामान्यतः, भक्त मंदिर में दर्शन और पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं और घर भी ले जाते हैं। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं, जहां प्रसाद को छूना या घर ले जाना अशुभ माना जाता है। आइए जानते हैं ऐसे 5 रहस्यमयी मंदिरों के बारे में:
India Mysterious Temples| 5 रहस्यमयी मंदिर
1. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान – प्रसाद घर ले जाना मना
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर हनुमानजी को समर्पित है और बुरी आत्माओं तथा नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान बालाजी को बूंदी के लड्डू और भैरव बाबा को उड़द दाल और चावल का भोग चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि प्रसाद को खाना या घर ले जाना अशुभ होता है, क्योंकि इससे नकारात्मक शक्तियां उत्पन्न हो सकती हैं।
2. कामख्या देवी मंदिर, असम – मासिक धर्म के दौरान प्रसाद ग्रहण वर्जित
गुवाहाटी स्थित कामख्या देवी मंदिर शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली माना जाता है। देवी की पूजा उनके मासिक धर्म के दौरान तीन दिनों के लिए बंद रहती है। इस दौरान भक्तों को मंदिर में प्रवेश करने या प्रसाद लेने की अनुमति नहीं होती। यह परंपरा देवी को विश्राम देने के उद्देश्य से पालन की जाती है।
3. काल भैरव मंदिर, उज्जैन – शराब का प्रसाद केवल भगवान के लिए
मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित काल भैरव मंदिर में भैरव बाबा को शराब का भोग अर्पित किया जाता है। यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहां यह अनूठी परंपरा प्रचलित है। भक्तों के लिए इसे ग्रहण करना वर्जित है। यदि कोई इसे तोड़ता है, तो उसका जीवन बाधाओं और दुर्भाग्य से प्रभावित हो सकता है।
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4. नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश – प्रसाद केवल मंदिर में ग्रहण करें
हिमाचल प्रदेश में स्थित नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां प्रसाद केवल देवी को अर्पित किया जाता है और इसे मंदिर परिसर में ही ग्रहण करना शुभ माना जाता है। घर ले जाने पर इसे अशुभ प्रभाव वाला माना जाता है।
5. कोटिलिंगेश्वर मंदिर, कर्नाटक – शिवलिंग का प्रसाद वर्जित
कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित कोटिलिंगेश्वर मंदिर में एक करोड़ शिवलिंग हैं। यहां पूजा के बाद जो प्रसाद मिलता है, वह केवल प्रतीकात्मक रूप में स्वीकार किया जाता है। इसे खाना या घर ले जाना अशुभ माना जाता है, विशेषकर शिवलिंग के ऊपर से आने वाला प्रसाद।
ये मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और आस्थाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ का प्रसाद केवल देवता को अर्पित होता है और श्रद्धालुओं को इसे केवल श्रद्धा के साथ स्वीकार करना चाहिए, न कि सेवन या संग्रह के लिए।
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