राज्यपंजाब

Agriculture Minister Gurmeet Khudian ने किसानों से उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग के साथ अधिक उपज के लिए मिट्टी की जांच कराने का आग्रह किया

Gurmeet Khudian: पंजाब ने फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों को मुफ्त मिट्टी जांच की पेशकश की; 1 लाख से अधिक मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया गया

  • गुरमीत सिंह खुडियां ने कहा कि इस वित्त वर्ष में कम से कम 2.50 लाख मिट्टी के नमूने एकत्र करने और उनका परीक्षण करने का लक्ष्य रखा गया है।

Minister Gurmeet Khudian: मृदा परीक्षण आधारित दृष्टिकोण को बढ़ावा देकर तथा कम लागत पर अधिक उपज के लिए संतुलित उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देकर अधिक उर्वरक के उपयोग पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से, पंजाब कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने एक लाख से अधिक मृदा नमूने एकत्र किए हैं तथा संबंधित किसानों को रिपोर्ट निःशुल्क दी गई है, ताकि उन्हें टिकाऊ कृषि पद्धतियों के माध्यम से अपनी फसल की पैदावार में सुधार करने में सहायता मिल सके।

पंजाब के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के दौरान कम से कम 2.50 लाख मिट्टी के नमूने एकत्रित करके उनकी जांच करने का लक्ष्य रखा है। विभाग ने अब तक 1,16,117 नमूने सफलतापूर्वक एकत्रित करके उनकी जांच की है। उल्लेखनीय है कि राज्य भर में 58 मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं हैं।

राज्य के किसानों से अगली फसल बोने से पहले मिट्टी की जांच करवाने का आग्रह करते हुए श्री गुरमीत सिंह खुदियान ने जोर देकर कहा कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम और सूक्ष्म पोषक तत्वों का पता लगाने के लिए मिट्टी की जांच जरूरी है। यह ज्ञान किसानों को उर्वरकों को अधिक विवेकपूर्ण और प्रभावी ढंग से लागू करने में सक्षम बनाता है, जिससे फसल की इष्टतम वृद्धि सुनिश्चित होती है। नियमित जांच से समय के साथ मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी करने, लवणता, संदूषण या गिरावट जैसी समस्याओं की पहचान करने और यह समझने में भी मदद मिल सकती है कि मिट्टी अम्लीय, तटस्थ या क्षारीय है, जो फसल के चयन को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि पोषक तत्वों की सटीक आवश्यकताओं को जानकर, किसान अधिक उर्वरक का उपयोग करने से बच सकते हैं, लागत बचा सकते हैं और पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर सकते हैं।

इस दौरान कृषि एवं किसान कल्याण निदेशक श्री जसवंत सिंह ने बताया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना द्वारा सुझाए गए डीएपी के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग किसान कर सकते हैं, जो गेहूं की फसल के लिए समान रूप से फायदेमंद और प्रभावी हैं। उन्होंने आगे बताया कि किसान डीएपी के एक बैग का उपयोग करने के बजाय 75 किलोग्राम एनपीके (12:32:16) प्रति एकड़, या 150 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) + 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़, या 50 किलोग्राम ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (टीएसपी) + 20 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़, या 90 किलोग्राम एनपीके (10:26:26) प्रति एकड़ का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने किसानों से मिट्टी के भौतिक गुणों में सुधार के लिए जैविक खादों का उपयोग करने का भी आग्रह किया।

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