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Ekadashi Kab Hai: माघ माह में एकादशी व्रत कब-कब रखा जाएगा? नोट करें तिथि, पूजा-विधि

Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। साल में 24 एकादशी होती हैं। एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा पक्ष कृष्ण पक्ष। एकादशी तिथि भगवान शिव को बहुत प्रिय है।

Ekadashi Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी मासिक दो बार पड़ती है। साल में 24 एकादशी होती हैं। एक पक्ष शुक्ल पक्ष और दूसरा पक्ष कृष्ण पक्ष। एकादशी तिथि भगवान शिव को बहुत प्रिय है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मरने पर मोक्ष मिलता है। व्यक्ति इस व्रत को करने से अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस शुभ दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पाप दूर होते हैं। इस समय माघ माह है। माघ महीने में एकादशी व्रत कब-कब रखा जाएगा?

माघ महीने की कृष्ण पक्ष एकादशी—षटतिला एकादशी माघ मास की कृष्ण पक्ष में होती है। 25 जनवरी, शनिवार को इस वर्ष षटतिला एकादशी है।

मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारम्भ – जनवरी 24, 2025 को 07:25 पी एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – जनवरी 25, 2025 को 08:31 पी एम बजे

व्रत तोड़ने का समय – 26 जनवरी को 06:36 ए एम से 08:49 ए एम तक

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 08:54 पी एम तक

माघ महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी—जया एकादशी माघ मास के शुक्ल पक्ष में होती है। 8 फरवरी, शनिवार को जया एकादशी है।

मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारम्भ – फरवरी 07, 2025 को 09:26 पी एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त – फरवरी 08, 2025 को 08:15 पी एम बजे

व्रत तोड़ने का समय- 9 फरवरी को 06:31 ए एम से 08:47 ए एम तक

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 07:25 पी एम 06:31 ए एम से 08:47 ए एम

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – 07:25 पी एम

पूजा-पाठ:

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

घर के मंदिर में दीपक जलाएं।

गंगा जल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।

भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दें।

इस दिन अगर संभव हो तो व्रत भी रखें।

भगवान की आरती करें।

भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजें खानी चाहिए। तुलसी को भगवान विष्णु के भोग में अवश्य शामिल करें। माना जाता है कि भगवान विष्णु तुलसी के बिना भोजन नहीं करते हैं।

इस पावन दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों की पूजा करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

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