अब और भी आराम दे होने वाला है गरीब रथ का सफर रेलवे देगा बड़ी राहत
- गरीब रथ में यात्रा करने वाले यात्रियों को रेलवे की तरफ से एक बड़ी राहत मिलने वाली क्योंकि रेलवे ने इस ट्रेन के पुराने कोच को बदलकर इकोनामी एसी क्लास कोच लगाने का फैसला लिया है और यह कोच अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। कोच की उपलब्धता को देखते हुए इसे चरणबद्ध तरीके से बदलाव किया जाएगा। गत वर्ष रेलवे ने इकोनामी एसी क्लास कोर्स की शुरुआत की और इसके साथ ही कई ट्रेनों में नई श्रेणी के कोच लगाए जा रहे हैं।
बात करें किराए की तो इसका किराया थर्ड एसी से लगभग 8% कम होता है और थर्ड एसी कोच में एक केबिन में कुल 8 और गरीब रथ में 9 सीट होती है, साइड की दोनों बर्थ के बीच में एक और यात्री की सोने की व्यवस्था होती है , हालांकि इससे कोच में सीट बर्थ की संख्या तो बढ़ जाती है लेकिन यात्रा कर रहे यात्रियों को कुछ परेशानी का सामना करना पड़ता है, इस कारण इकोनामी एसी क्लास के कोच लगने से यह परेशानी पूरी तरह से दूर हो जाएगी और अब यात्रियों की संख्या भी कम नहीं होगी।
देखा जाए तो थर्ड एसी में 72 यात्री सफर करते हैं वहीं अब नई इकोनामी एसी क्लास कोच के कोच में 83 यात्री सफर कर पाएंगे। कुछ मुख्य बदलावों में हाई वोल्टेज इलेक्ट्रिक स्विच गेयर को कोच के अंदर वाले हिस्से से हटाकर अब इस के निचले हिस्से में लगाया जाना है जिससे कोच में 11 अतिरिक्त सीट्स लग सकेंगे और इस तरह कम किराए में ज्यादा यात्री यात्रा कर पायेंगे।
रेलवे कोच फैक्ट्री (RCF) कपूरथला में यह इकोनामी एसी कोच तैयार किए हैं और अब इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई और आधुनिक कोच फैक्ट्री रायबरेली में भी इसका उत्पादन करने का फैसला लिया गया है जिससे अगले साल यानी 2023 तक 800 कोच तैयार हो पाएंगे, इस समय भारत में 26 जोड़ी गरीब रथ चल रहे हैं।
रेलवे के अधिकारियों की मानें तो यह कुछ अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है बावजूद इसे बनाने में खर्च काफी काम आया है, इसकी लागत 2.75 करोड रुपए वही थर्ड एसी कोच को बनाने में लगभग 3.85 करोड रुपए की लागत आती है।
इसके मुख्य बदलावों में से एक स्कोच की बनावट दरवाजे व शौचालय दिव्यांग जनों की सुविधा के अनुसार तैयार किए गए और मिडिल और अपन की बर्थ पर चढ़ने के लिए सीढ़ी भी ज्यादा आरामदेय है। इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर कोच में अन्य कई बदलाव हुए हैं।