धर्म

दूर्वा अष्टमी 2025: गणेश जी को दूब के अलावा अर्पित करें ये खास चीजें, जानें पूजा विधि और महत्व

दूर्वा अष्टमी 2025 पर जानें गणेश जी को दूब के अलावा कौन-कौन सी चीजें अर्पित करें, पूजा विधि और विशेष मंत्र के साथ सफलता पाएं।

दूर्वा अष्टमी 2025: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हर साल भक्त बड़े धूमधाम से दूर्वा अष्टमी के रूप में मनाते हैं। यह त्यौहार खासकर भगवान गणेश की पूजा में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार दूर्वा अष्टमी 2025 का पर्व रविवार, 31 अगस्त को पड़ रहा है। कहा जाता है कि इस दिन गणेश जी को दूर्वा (दूब) अर्पित करने से विघ्नहर्ता की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि आती है।

गणेश जी और दूर्वा का खास संबंध

गणेश जी की पूजा में दूर्वा का महत्व अत्यंत प्राचीन है। आयुर्वेद में भी दूर्वा को त्रिदोष नाशक माना गया है, जिससे यह न केवल धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभकारी है। दूर्वा के 21 गांठों वाला गुच्छा विशेष रूप से गणेश जी को अर्पित किया जाता है, जिससे सभी बाधाएं दूर होती हैं।

दूर्वा अष्टमी 2025 पर गणेश जी को दूब के अलावा क्या दें?

दूर्वा अष्टमी 2025: दूर्वा के साथ-साथ गणेश जी को पूजा में अर्पित करने के लिए कुछ और खास चीजें भी होती हैं, जो उनकी पूजा को और भी प्रभावशाली बनाती हैं। आप इन वस्तुओं का भी उपयोग कर सकते हैं:

  • सिंदूर

  • अक्षत (बिना टूटे चावल)

  • लाल फूल (विशेषकर गुड़हल के फूल)

  • घी

  • गुड़

  • नारियल

  • शमी के पत्ते

  • सुपारी

  • हल्दी

  • कलावा

  • जनेऊ

इन वस्तुओं के अर्पण से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और घर में खुशहाली, समृद्धि बनी रहती है।

भोग में क्या लगाएं?

गणेश जी को मोदक और लड्डू सबसे प्रिय माने गए हैं। दूर्वा अष्टमी के दिन इन्हें भोग लगाना अत्यंत शुभ होता है। इसके अलावा आप निम्नलिखित चीजें भी गणपति जी को भेंट कर सकते हैं:

  • पंजीरी

  • मिठाई

  • फल जैसे केला, अमरूद, सेब, संतरा आदि

यह सभी भोग गणेश जी को बहुत भाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

दूर्वा अर्पित करने की विधि

  1. सबसे पहले गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करें।

  2. 21 गांठों वाली दूर्वा के गुच्छे को साफ पानी से धोकर शुद्ध करें।

  3. दूर्वा को गणेश जी के चरणों में अर्पित करें।

  4. दूर्वा अर्पित करते समय मंत्र “श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि” का जाप करें।

  5. अंत में गणेश जी को मोदक या तिल का भोग लगाएं।

इस विधि से पूजा करने पर भगवान गणेश विशेष प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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