उज्जैन में बाबा महाकाल की भव्य राजसी सवारी निकली। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की अगवानी, पुष्पवर्षा और पूजन में हुए शामिल। पढ़ें पूरी खबर।
उज्जैन में भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य राजसी सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस ऐतिहासिक आयोजन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल हुए और उन्होंने श्रद्धालुओं के साथ बाबा के दर्शन किए। सीएम यादव ने बाबा महाकाल से प्रदेशवासियों के कल्याण और सुख-शांति की कामना की।
श्रावण-भाद्रपद में होती है परंपरागत सवारी
सीएम मोहन यादव ने जानकारी दी कि श्रावण मास में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक बाबा महाकाल की सवारियां निकाली जाती हैं, वहीं उत्तर-दक्षिण परंपरा के अनुसार भाद्रपद के पहले दो सोमवार तक भी बाबा की सवारी निकाली जाती है। इस वर्ष 18 अगस्त को आखिरी राजसी सवारी निकाली गई।
शाही स्वरूप में बाबा महाकाल के दर्शन
राजसी सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने छह स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए:
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रजत पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर
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हाथी पर श्री मनमहेश
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गरुड़ रथ पर श्री शिवतांडव
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नंदी रथ पर श्री उमा-महेश
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डोल रथ पर होल्कर स्टेट मुखारविंद
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सप्तधान मुखारविंद के रूप में अंतिम दर्शन
रामघाट पर जलाभिषेक और पूजन
बाबा महाकाल की भव्य राजसी सवारी पारंपरिक मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची, जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का जलाभिषेक कर विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इस पूजन में प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, महापौर मुकेश टटवाल सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने की पुष्पवर्षा और डमरू बजाया
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रजत पालकी में विराजमान भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की। उन्होंने सवारी मार्ग पर श्रद्धालुओं के साथ मिलकर डमरू और झांझ बजाए और बाबा महाकाल की जय-जयकार की।
70 से अधिक भजन मंडलियों ने किया भक्ति संगीत का प्रदर्शन
इस भव्य आयोजन में उज्जैन समेत मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से आईं 70 से अधिक भजन मंडलियां शामिल हुईं, जिन्होंने भगवान श्री महाकाल का गुणगान करते हुए शोभायात्रा को भक्ति से सराबोर किया।
चलित रथ और LED स्क्रीन से हुए दर्शन
श्रद्धालुओं को सहज दर्शन का लाभ देने के लिए चलित रथ की व्यवस्था की गई थी। साथ ही उज्जैन के प्रमुख स्थानों जैसे फ्रीगंज, नानाखेड़ा, दत्त अखाड़ा आदि में LED स्क्रीन पर सवारी का लाइव प्रसारण भी किया गया।
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जनजातीय और लोक कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुतियां
बाबा महाकाल की भव्य राजसी सवारी को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए ढुलिया गुदुमबाजा नृत्य, श्रृंगारी लोक नृत्य, डंडा नृत्य और करमा नृत्य जैसी लोककलाओं की प्रस्तुति दी गई। ये दल जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी और मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से आमंत्रित किए गए थे।
भोजन भंडारे में शामिल हुए मुख्यमंत्री
हरिफाटक ब्रिज के नीचे देशभर से आए श्रद्धालुओं के लिए विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्वयं भोजन वितरण कर श्रद्धालुओं की सेवा की और सभी व्यवस्थाओं की सराहना की।
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