जानिए मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की अद्भुत कथा, भगवान शिव ने क्यों धारण किया ज्योति रूप और इस ज्योतिर्लिंग की महिमा।
हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व माना जाता है, जिनमें से दूसरा ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga) है। यह पवित्र ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित है और अपनी महिमा और अद्भुत कथा के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की महिमा
श्रीशैलम मंदिर, जिसे मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, शैल पर्वत पर स्थित है और इसे “दक्षिण का कैलाश” भी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर से जुड़ी ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से साधक को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य रूप का प्रतीक है। कहा जाता है कि ब्रह्मांड में शिव का एकमात्र ऐसा धाम है जो प्रलय के बाद भी अस्तित्व में रहेगा।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती यह तय नहीं कर पा रहे थे कि उनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश में किसका विवाह पहले होना चाहिए। इसका समाधान निकाला गया कि जो भी पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, उसी का विवाह पहले किया जाएगा।
भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकले, जबकि गणेश जी ने अपने वाहन चूहा पर माता-पिता की परिक्रमा कर दी। जब कार्तिकेय ने इसका कारण पूछा, तो गणेश जी ने कहा कि माता-पिता की परिक्रमा करना संसार की परिक्रमा करने के बराबर है।
यह सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न हुए और उन्होंने गणेश जी का विवाह करा दिया। कार्तिकेय इस निर्णय से क्रोधित होकर क्रौंच पर्वत (श्रीशैल पर्वत) चले गए।
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पुत्र के वियोग से दुखी होकर माता-पिता भी उन्हें मनाने पहुँचे, लेकिन कार्तिकेय नाराज़ रहे। तब भगवान शिव ने स्वयं को ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट किया।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग नाम का अर्थ है – मल्लिका = माता पार्वती, अर्जुन = भगवान शिव। इस तरह भगवान शिव ने अपने ज्योति रूप से अपने भक्तों के सामने दिव्यता और शक्ति का अद्भुत रूप प्रस्तुत किया।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह स्थल न केवल भक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के कारण अत्यंत पवित्र भी माना जाता है।
आज भी दूर-दूर से भक्त इस पवित्र मंदिर की यात्रा करते हैं और अपने जीवन में शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भगवान शिव की आराधना करते हैं।
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