Chaitra Navratri 5th day: नवरात्रि की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। जानें मां स्कंदमाता का शुभ रंग, भोग, मंत्र व पूजा विधि-
Chaitra Navratri 5th day: चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का पंचम स्वरूप है। यह माना जाता है कि यह मां अपने भक्तों को प्यार देती है। मां स्कंदमाता की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और कार्यों में बाधा आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। नवरात्रि की पंचमी तिथि पर मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की भक्तिभाव से पूजा करने और व्रत करने से जातक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है। यह स्वूप भगवान कार्तिकेय की माता थी, इसलिए इसे स्कंदमाता कहा जाता था। जानें मां स्कंदमाता की पूजा, भोग, मंत्र और आरती के तरीके। आपको बता दें कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि पर तृतीया तिथि का क्षय होने से नवरात्रि आठ दिन की होगी। 2 अप्रैल 2025 को बुधवार को चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि है।
मां स्कंदमाता का व्यक्तित्व- स्कंद माता का स्वरूप मां की गोद में है। मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है क्योंकि वे कमल के आसन पर विराजमान हैं। मां सिंह है। माना जाता है कि मां भगवती का पंचम स्वरूप पूजन करने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
स्कंदमाता की पूजा विधि- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें। गंगाजल से मां स्कंदमाता को स्नान कराएं। चुनरी, कपड़े आदि अर्पित करें। रोली, कुमकुम आदि लगाएं। इसके बाद मां को मिठाई व फलों का भोग लगाएं। मां की आरती करें।
स्कंदमाता का प्रिय भोग- मान्यता है कि मां स्कंदमाता को केले का भोग अतिप्रिय है। आप माता रानी को खीर का भोग भी लगा सकते हैं।
स्कंदमाता का प्रिय रंग- नवरात्रि के पांचवें दिन पीला और सफेद रंग शुभ हैं। आप मां की पूजा के दिन श्वेत या पीले रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
स्कंदमाता का मंत्र-
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
स्कंदमाता की आरती-
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सबके मन की जानन हारी, जग जननी सबकी महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहू मैं, हरदम तुझे ध्याता रहू मैं।
कई नामों से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी मुझे दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तू ही खंडा हाथ उठाए।
दासों को सदा बचाने आयी, भक्त की आस पुजाने आयी।