Chaitra Navratri 7th Day 2025: कल नवरात्रि की सप्तमी, जाने मां कालरात्रि की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, शुभ रंग, मंत्र और आरती।

Chaitra Navratri 7th Day 2025: मां कालरात्रि को नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर पूजा जाती है। जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती के बारे में सब कुछ।

Chaitra Navratri 7th Day 2025: 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार को नवरात्रि का सातवां दिन है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा की सातवीं शक्ति है। मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। भक्तों को मां कालरात्रि की पूजा करने के बाद अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि, शुभ समय, भोग, रंग और मंत्र-

मां कालरात्रि का स्वरूप: मां कालरात्रि का शरीर काले रंग का है। मां की श्वास एक आग है। मां के बाल बिखरे हुए और लंबे हैं। मां कालरात्रि के तीन नेत्र नहीं, चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार (खड्ग), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे में वरमुद्रा और चौथे हाथ में अभय मुद्रा है।

मां कालरात्रि पूजन के उत्तम समय:

ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 ए एम से 05:22 ए एम

प्रातः सन्ध्या – 04:59 ए एम से 06:08 ए एम

अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:49 पी एम

विजय मुहूर्त- 02:30 पी एम से 03:20 पी एम

गोधूलि मुहूर्त- 06:39 पी एम से 07:02 पी एम

सायाह्न सन्ध्या- 06:41 पी एम से 07:49 पी एम

अमृत काल- 07:33 पी एम से 09:07 पी एम

मां कालरात्रि की पूजा की प्रक्रिया सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा करें। गंगाजल से मां कालरात्रि की मूर्ति को साफ करें। मां को लाल कपड़े दें। कुमकुम, रोली आदि अर्पित करें। मां को मेवा, मिष्ठान और फल दें। मां कालरात्रि को शहद का भोग लगाना अनिवार्य है। मां की प्रशंसा करें।

मां कालरात्रि का भोग: गुड़ मां कालरात्रि को बहुत अच्छा लगता है। इसलिए नवरात्रि के सातवें दिन गुड़ मां दुर्गा को देना चाहिए।

नवरात्रि के सातवें दिन, मां कालरात्रि को लाल रंग बहुत अच्छा लगता है। यही कारण है कि मां की पूजा के दौरान लाल रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है।

मां कालरात्रि का मंत्र

– क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

-ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:

-एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

-या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां कालरात्रि आरती-

कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।

काल के मुह से बचाने वाली ॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।

महाचंडी तेरा अवतार ॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा ।

महाकाली है तेरा पसारा ॥

खडग खप्पर रखने वाली ।

दुष्टों का लहू चखने वाली ॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।

सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥

सभी देवता सब नर-नारी ।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी ।

ना कोई गम ना संकट भारी ॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें ।

महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥

तू भी भक्त प्रेम से कह ।

कालरात्रि माँ तेरी जय ॥

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