हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज गृह विभाग डैशबोर्ड का उद्घाटन किया। यह एक व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो राज्य भर में कानून प्रवर्तन, आपातकालीन प्रतिक्रिया और सार्वजनिक सुरक्षा प्रबंधन में क्रांति लाने का वादा करता है
इस पहल को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताते हुए, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि यह नई प्रणाली वरिष्ठ अधिकारियों को पुलिस, अग्निशमन, एम्बुलेंस, जेल और अन्य महत्वपूर्ण विभागों से एक ही इंटरफ़ेस पर वास्तविक समय की जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा कि इससे गृह विभाग में समन्वय में सुधार होगा, कार्यकुशलता बढ़ेगी और तेज़ी से निर्णय लेने में मदद मिलेगी। सैनी ने इस अभिनव पहल के लिए गृह सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों तथा तकनीकी टीम को बधाई दी।
यह एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस), डायल-112 आपातकालीन प्रतिक्रिया, ई-जेल, ई-चालान, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला और संबंधित प्लेटफ़ॉर्म जैसी प्रमुख प्रणालियों को एक साथ लाता है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ई-समन और ई-चालान को डैशबोर्ड के साथ एकीकृत करने का भी निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने डैशबोर्ड के माध्यम से हरियाणा की सभी 20 जेलों की वास्तविक समय में लाइव निगरानी की सराहना की। इससे अधिकारियों को कैदियों के स्थानांतरण, विस्तार आवश्यकताओं और भीड़भाड़ कम करने के उपायों की योजना बनाने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि इस तरह की वास्तविक समय की दृश्यता प्रशासनिक कार्रवाई को और अधिक सूचित और समय पर करने में सहायक होगी।
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बैठक के दौरान, गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव, डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि 1 जुलाई, 2024 से 30 नवंबर, 2025 के बीच, डैशबोर्ड पर 1,78,038 एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से 1,32,790 मामलों का निपटारा किया जा चुका है, जो 74.58% निपटान दर दर्शाता है। आपातकालीन प्रतिक्रिया में, पुलिस अब औसतन 11 मिनट 54 सेकंड का प्रतिक्रिया समय लेती है, और 7 मिनट 36 सेकंड के भीतर सहायता पहुँचाई जाती है। उन्होंने आगे बताया कि एम्बुलेंस सेवाएँ औसतन 23 मिनट 49 सेकंड में नागरिकों तक पहुँच रही हैं, जिससे त्वरित चिकित्सा सहायता और बेहतर परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि यह डैशबोर्ड जल्द ही गृह विभाग और न्याय प्रशासन के अंतर्गत आने वाले सभी विभागाध्यक्षों तक विस्तारित किया जाएगा। पुलिस, अभियोजन, न्यायपालिका, कारागार और फोरेंसिक के बीच निर्बाध डेटा प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) को एकीकृत करने की भी योजनाएँ चल रही हैं।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि यह प्लेटफ़ॉर्म पुलिस थानों की प्रदर्शन-आधारित रैंकिंग को सुगम बनाएगा, जवाबदेही को मज़बूत करेगा और निरंतर सुधार को प्रोत्साहित करेगा। यह सभी 24 पुलिस ज़िलों और 413 पुलिस थानों के रीयल-टाइम डेटा द्वारा भी संचालित होगा। इस डैशबोर्ड का उद्देश्य राज्य भर में अपराध प्रवृत्तियों की निगरानी, विभागीय समन्वय में सुधार और जन सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक व्यापक निर्णय-समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करना है।
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