Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि के दिन जागरण और रात्रि पूजन की विधि और लाभ

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर रात में पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किस विधि से आपको पूजा करनी चाहिए, आइए जानते हैं।
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर रात्रि पूजन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था। वजह कोई भी हो, महाशिवरात्रि पर रात को पूजन करना बहुत शुभ है। आइए जानते हैं कि इस दिन रात्रि में आपको किस विधि से पूजा करनी चाहिए।
रात्रि पूजन की जगह
आपको रात्रि पूजन के लिए घर के मंदिर में या किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव का चित्र या शिवलिंग स्थापित करना चाहिए। तब आपको पूजा के लिए लकड़ी की चौकी बिछानी चाहिए। इसके बाद आपको गंगाजल से शिवलिंग को अभिषेक करना चाहिए। आप शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी या चीनी भी अर्पित कर सकते हैं। आप भगवान शिव को भांग-धतूरा, आक के फूल, बेलपत्र, आदि भी अर्पित कर सकते हैं। तब आपको धूप-दीप जलाकर भगवान शिव के मंत्रों, चालीसा, आदि का पाठ करना चाहिए। महाशिवरात्रि की रात को जागते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करना चाहिए। इसके साथ ही भजन कीर्तन भी आप कर सकते हैं।
अंतिम प्रहर की पूजा
शिवरात्रि के अंतिम प्रहर (3 से 6 बजे के बीच) की पूजा भी करनी चाहिए। इस दौरान आप अंतिम बार आदिर शिवलिंग पर गंगाजल, फूल और प्रसाद अर्पित कर सकते हैं। वहीं अंतिम प्रहर की पूजा में भी शिव की आरती करनी चाहिए।
अगर आपने व्रत रखा है तो इस समय पारण करें।
सुबह की अंतिम प्रहर की पूजा के बाद आप शिवरात्रि का व्रत कर सकते हैं। इसके बाद आपको खुद भी भोजन करना चाहिए। साथ ही शिवरात्रि व्रत के पारण के बाद आप भोजन भी कर दान भी कर सकते हैं।
शिवरात्रि के दिन जागरण करने का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाशिवरात्रि पर रात के समय जागरण करने से व्यक्ति को शिव कृपा प्राप्त होती है। वहीं भक्तों को ज्ञान और विवेक भी रात्रि जागरण से मिलता है। आदियोगी शिव की रात्रि साधना करने से आध्यात्मिक उन्नति भी भक्त पाते हैं और अंत समय में उन्हें सद्गति भी प्राप्त होती है। रात्रि के समय जागरण करने का महत्व इसलिए भी है कि, रात में एकांत अधिक होता है जिससे साधना करने में आसानी होती है।