
CM Rekha Gupta ने कहा, “हालांकि पिताजी मेरे साथ थे, पापा ने कहा-कि अगर बच्चे (रेखा) को मौका मिल रहा है तो उसको आगे बढ़ाना चाहिए।” मैं ये कहना चाहती हूं, ऐसे पिता हमारे समाज के हर घर में हों।’
दिल्ली की CM Rekha Gupta राजधानी में अंतर्राष्ट्रीय वैश्य फेडरेशन (IVF) के एक सम्मेलन में पहुंचीं, जहां उन्होंने वैश्य समाज से जुड़े लोगों को संबोधित करते हुए कॉलेज के दिनों की कहानी बताई। उनका कहना था कि वह वैश्य समाज की पहली बेटी थीं जो दिल्ली विश्वविद्यालय की अध्यक्ष बनीं। और जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने डूसू को प्रेसिडेंट पद के चुनाव में उतारने का प्रस्ताव किया, तो मां ने इसका विरोध किया और कहा कि इससे शादी कौन करेगा?
सभा में कॉलेज की उस कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा, ‘आदरणीय जगदीश मित्तल जी मेरे गार्जियन हैं, मेरे पिताजी के मित्र हैं, इनको मालूम है। 1996 में मैं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रेसिडेंट बनने वाली पहली वैश्य बेटी थी। उन्हें पता है कि हमारे घरों में क्या पृष्ठभूमि है। पहली बार जब जनरल सेक्रेटरी का चुनाव लड़ी तो घर में पता ही नहीं था, कि क्या होता है चुनाव, बस लड़ गई। एक साल में पता चला कि भाई ये चुनाव होता है और ये तो नेतागिरी का सबसे ऊपर वाला पद है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की महासचिव बन गई।’
CM Rekha Gupta ने आगे कहा, “मां ने एक साल में सब देख लिया, तो जब अगली बार प्रेसिडेंट के लिए कहा कि इसको प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ाना होगा, तो मां ने कहा ओ… नहीं, नहीं, नहीं, नहीं..ये बनियों के बच्चों का काम नहीं है; कोई चुनाव-वुनाव नहीं लड़ना, शादी कौन करेगा।’
आगे बोलते हुए सीएम रेखा ने कहा, ‘हालांकि पिताजी साथ थे, पापा ने कहा- कि अगर बच्चे को मौका मिल रहा है तो उसको आगे बढ़ाना चाहिए। मैं ये कहना चाहती हूं, ऐसे पिता हमारे समाज के हर घर में हों।’