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Punjab News: बजट २२०० करोड़, दो राज्यों की राजधानी..। आप-कांग्रेस ने चंडीगढ़ को मेयर बनाने के लिए पूरी कोशिश क्यों की?

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Punjab News: सस्पेंस अभी भी चंडीगढ़ का नया मेयर है। गुरुवार (18 जनवरी) को नगर निगम कार्यालय में मेयर पद का चुनाव होना था, लेकिन पीठासीन अधिकारी बीमार हो गया।

यहाँ, आप और कांग्रेस के नेताओं ने मेयर चुनाव को समय पर नहीं करने पर हंगामा कर दिया है। इन नेताओं ने कहा कि बीजेपी ने पीठासीन अधिकारी को बीमार बताकर चुनाव रद्द कर दिया है।

आप भी हाईकोर्ट गए हैं, जहां शनिवार, 20 जनवरी को सुनवाई हो सकती है। चंडीगढ़ नगर निगम का मेयर हर साल चुना जाता है। इस बार आप और कांग्रेस का पलड़ा

आप और कांग्रेस ने मेयर चुनाव जीतने के लिए मजबूत मोर्चेबंदी की है। पार्टी ने चंडीगढ़ में चुनाव जीतने के लिए राज्यसभा सांसद राघव चड्डा की ड्यूटी लगाई है. कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बसंल ने कमान संभाला है।

Punjab News: बीजेपी हाईकमान भी चंडीगढ़ नगर निगम पर नज़र रखता है। ऐसे में, दोनों पक्षों ने नगर निगम चुनाव में अपनी पूरी ताकत क्यों डाली है?

चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव कितना अहम?

1. आप और कांग्रेस ने लोकसभा के लिए गठबंधन किया है. दोनों पार्टी निगम चुनाव के जरिए कार्यकर्ताओं और छोटे नेताओं का लिटमस टेस्ट कर रही है. चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है. पंजाब और हरियाण की राजनीति में अगर कांग्रेस और आप का गठबंधन प्रयोग सफल हो जाता है, तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है.

2. ज्यादा पार्षद होने के बावजूद नगर निगम में आम आदमी पार्टी अपना मेयर नहीं बनवा पा रही है. पार्टी को कांग्रेस के साथ आने से उम्मीद बढ़ी है. 35 सदस्यीय चंडीगढ़ नगर निगम में भाजपा के 14, आप के 13 और कांग्रेस के सात पार्षद हैं. सदन में शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है.

3. चंडीगढ़ में लोकसभा की एक सीट है. अगर कांग्रेस और आप का गठबंधन प्रयोग यहां सफल रहता है, तो इसका असर लोकसभा सीट पर भी पड़ेगा. वर्तमान में चंडीगढ़ सीट पर बीजेपी का कब्जा है.

अब 4 प्वॉइंट्स में समझिए चंडीगढ़ नगर निगम की पूरी कहानी

1. चंडीगढ़ नगर निगम का भौगोलिक क्षेत्र

Punjab News: पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी चंडीगढ़ है। चंडीगढ़ का कुल क्षेत्र 114 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 79.5 वर्ग किलोमीटर नगर निगम के अधीन है, शहरी एवं आवास मंत्रालय के अनुसार। यह कुल क्षेत्र का लगभग २.३% है।

मंत्रालय ने बताया कि कुल क्षेत्र के चालिस प्रतिशत हिस्से में आम लोग रहते हैं, चालिस प्रतिशत हिस्से में जंगल हैं, और बाकी २० प्रतिशत हिस्से में सड़कों का जाल है।

पंजाब नगर निगम कानून (चंडीगढ़ तक विस्तार) अधिनियम चंडीगढ़ नगर निगम को नियंत्रित करता है। लेकिन पंजाब सरकार की भूमिका इसके निर्माण और कार्यान्वयन में सीमित है।

2. नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था

चंडीगढ़ नगर निगम का प्रशासनिक ढांचा दो तरह से बनाया गया है। चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रमुख होते हैं, जबकि नगर आयुक्त प्रशासनिक प्रभारी होते हैं। पार्षदों ने मेयर को चुना है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑफ अप्वाइंटमेंट चंडीगढ़ नगर निगम के आयुक्त की नियुक्ति करती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय आयुक्तों की नियुक्ति करता है।

एक साल में एक बार मेयर चुना जाता है। मेयर के अलावा डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर भी चुना जाता है।

चंडीगढ़ नगर निगम में भी इन कौंसिलों को मेयर बनाने की मांग वर्षों से चल रही है। इन कौंसिलों में पार्षदों को एक-एक विभाग दिया जाता है, जो उनकी निगरानी करता है।

3. चंडीगढ़ नगर निगम में मेयर का पद

शहर का पहला नागरिक मेयर है। नगर निगम के सभी एजेंडे को मेयर की मंजूरी से ही सदन में प्रस्तुत किया जाता है। इसके लिए मेयर को विशिष्ट अधिकार दिए गए हैं। विकास के प्रस्ताव को सभा में प्रस्तुत करने का अधिकार भी मेयर के पास है।

चंडीगढ़ एक केंद्रशासित प्रदेश है, इसलिए मेयर का पद विकास के दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण है।

अध्यक्ष बनने के लिए निर्वाचित पार्षद होना सबसे अच्छा योग्यता है। हर साल नगर निगम चुनाव में चुने गए पार्षदों में से किसी एक को मेयर चुना जा सकता है, जैसा कि नियम कहता है। इसमें आरक्षण भी शामिल है।

चंडीगढ़ के पार्षदों के अलावा चंडीगढ़ के सांसद भी मेयर के चुनाव में मतदान करते हैं।

4. चंडीगढ़ नगर निगम का बजट 

2023-24 में चंडीगढ़ नगर निगम ने 2,176.4 करोड़ रुपये का बजट रखा था। बजट का अधिकांश धन फाइबर ऑप्टिक्स और ठोस कचरा प्रबंधन पर खर्च किया गया था।

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२०२२-२३ में चंडीगढ़ नगर निगम का बजट १७२५ करोड़ रुपये था।

केंद्रीय अनुदान, टैक्स और विज्ञापन चंडीगढ़ नगर निगम का मुख्य आय स्रोत हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, चंडीगढ़ नगर निगम हर साल केंद्र से लगभग 550 करोड़ रुपये पाता है।

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