Durga Ashtami 2023
Durga Ashtami 2023: शारदीय नवरात्र (2023 में) के 9 दिन महत्वपूर्ण हैं। अष्टमी और नवमी तिथि इसमें विशेष महत्व रखती हैं। महाष्टमी नवरात्रि के आठवें दिन मनाई जाती है। ये दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति, मां महागौरी को समर्पित है, जो धन, ऐश्वर्य और सुख की देवी हैं।
इस दिन लोग कन्या भोजन करते हैं और अपनी कुल देवी का पूजन करते हैं। जानें शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी की तिथि, मुहूर्त और महत्व।
शारदीय नवरात्रि 2023 अष्टमी कब ? (Shardiya Navratri
2023 Ashtami)
- शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी 22 अक्टूबर 2023 को है.
- अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि शुरू – 21 अक्टूबर 2023, रात 09.53
- अश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि समाप्त – 22 अक्टूबर 2023, रात 07.58
नवरात्रि 2023 दुर्गाष्टमी मुहूर्त (Navratri 2023 Durga Ashtami Muhurat)
- सुबह का मुहूर्त – सुबह 07.51 – सुबह 10.41
- दोपहर का मुहूर्त – दोपहर 01.30 – दोपहर 02.55
- शाम का मुहूर्त – शाम 05.45 – रात 08.55
- संधि पूजा मुहूर्त – रात 07.35 – रात 08.22
नवरात्रि की महाष्टमी का महत्व (Navratri Maha Ashtami Significance)
Durga Ashtami 2023: शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दो दिन महत्वपूर्ण माने जाते हैं क्योंकि अष्टमी तिथि पर देवी दुर्गा ने चंड-मुंड को मार डाला था और नवमी तिथि पर माता ने महिषासुर को मार डालकर भक्तों और पूरे विश्व को बचाया था। मान्यता है कि नवरात्रि में नौ दिन तक पूजा और व्रत नहीं कर पाए तो अष्टमी और नवमी के दिन व्रत रखकर देवी का पूजन करने से पूरे नौ दिन की पूजा का फल मिलता है। महाष्टमी के दिन मिट्टी के नौ कलशों को रखकर देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
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महाष्टमी पर कन्या पूजा का महत्व (Navratri 2023 Ashtami Kanya Pujan)
Durga Ashtami 2023: के दिन कन्या पूजन बहुत महत्वपूर्ण है। इसे कंजक पूजा या कुमारी पूजा भी कहते हैं। इस दिन छोटी बालिका को 2 से 10 वर्ष की उम्र तक श्रृंगार कर देवी दुर्गा की तरह पूजा जाती है। उन्हें भोजन, दक्षिणा और सम्मानपूर्वक विदा करते हैं। नवरात्रि में कन्या पूजन के बिना व्रत-पूजा का कोई लाभ नहीं मिलता।
नवरात्रि की दुर्गाष्टमी पर होती है संधि पूजा (Navrati 2023 Sandhi Puja)
Durga Ashtami 2023: शारदीय नवरात्र की महाष्टमी पर संधि पूजा जाती है। संधि काल अष्टमी के अंतिम चौबीस घंटे और नवमी के शुरुआती चौबीस घंटे है। दुर्गा पूजा करने के लिए संधिकाल सबसे अच्छा है। इस समय देवी दुर्गा ने प्रकट होकर असुर चंड और मुंड को मार डाला था। इस दिन शाम को देवी दुर्गा को चुनरी चढ़ाएं और सप्तशती का पाठ करें। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है और माता सारे दुःखों को हर लेती है।
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