Ekadashi Vrat Niyam: एकादशी व्रत कितने प्रकार से रखा जा सकता है? जानें सही नियम क्या है
Ekadashi Vrat: अगर आप एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो पहले इसके नियमों को जानें। वास्तव में, एकादशी का व्रत कई तरह से रखा जाता है। तो यहां एकादशी व्रत की पूरी जानकारी मिलेगी।
Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण है। एकादशी व्रत देवताओं को समर्पित है। इस दिन प्रभु नारायण की पूजा की जाती है। कृष्ण पक्ष में प्रत्येक महीने दो बार एकादशी का व्रत पड़ता है, जबकि शुक्ल पक्ष में एक बार पड़ता है। हिन्दू धर्म के लोगों का मानना है कि एकादशी का व्रत रखकर विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनका जीवन खुशहाल और संपन्न होता है।साथ ही घर में खुशी-सौभाग्य रहता है। आइए जानते हैं कि एकादशी का व्रत कितने प्रकार से रखा जाता है और इसका सही नियम क्या है।
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि एकादशी का व्रत चार प्रकार से रखा जाता है। एकादशी का व्रत इनमें से किसी भी तरह से कर सकते हैं। लेकिन जिस भी तरह से आपने व्रत का संकल्प लिया, उसे पूरा करना चाहिए।
- जलाहर
- क्षीरभोजी
- फलाहारी
- नक्तभोजी
1. जलाहर
शास्त्रों के अनुसार, जलाहर में एकादशी का व्रत सिर्फ पानी पीकर रखा जाता है। एक बार जलाहरी व्रत का संकल्प लेने के बाद उसे पूरा किया जाता है।
2. क्षीरभोजी
क्षीरभोजी एकादशी व्रत दूध और दूध से बने उत्पादों को खाकर मनाया जाता है। क्षीरभोजी एकादशी व्रत के दिन जातक केवल दूध या दूध से बना खाना खाते हैं।
3. फलाहारी
फलाहारी का अर्थ है एकादशी पर केवल फल खाना। यह व्रत रखने वाले आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता, केला आदि खा सकते हैं। पत्तेदार साग-सब्जियां, अन्न और नमक बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।
4. नक्तभोजी
सूर्योदय से ठीक पहले दिन में एक बार फलाहार करना नक्तभोजी है। एकादशी व्रत पर नक्तभोजी का आहार साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकंदी, आलू और मूंगफली है। एकादशी व्रत में वर्जित अनाज (सेम, गेहूं, चावल, दालें) को एक बार में नहीं खाना चाहिए।
देवशयनी एकादशी 2024
बता दें कि 17 जुलाई 2024 को देवशयनी एकादशी होगी। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक क्षीरसागर में योग निद्रा में रहेंगे। देवउठनी एकादशी के दिन फिर से सोते हैं। देशवयनी एकादशी हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह योगनिद्रा एकादशी, पद्मनाभा और हरिशयनी भी कहलाता है।