Falgun Amavasya 2025: फाल्गुन अमावस्या के दिन पितृ स्त्रोत का पाठ करने से पितृ कृपा मिलती है। ऐसे में अमावस्या के दिन स्नान-दान करने के साथ ही पितृ स्त्रोत भी पढ़ना चाहिए।
Falgun Amavasya 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं। अमावस्या के दिन स्नान-दान करने से शुभफल मिलेंगे। अमावस्या के दिन पिंडदान और तर्पण भी किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूर्वज खुश होते हैं और अपने वंशजों पर प्रेम करते हैं। अमावस्या पर पितृ स्त्रोत पढ़ना भी फायदेमंद माना जाता है। पितृ पितृ स्त्रोत का पाठ करने से घर में पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और पितृ आशीर्वाद मिलता है। इसलिए फाल्गुन अमावस्या के दिन पितृ स्त्रोत को पढ़ना अनिवार्य है।
फाल्गुन अमावस्या 2025 कब है?
27 फरवरी 2025 को फाल्गुन अमावस्या है। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 8 मिनट पर शुरू होगी, पंचांग के अनुसार। अमावस्या 28 फरवरी को सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान-दान का ब्रह्म मुहूर्त सुबह पांच बजे से पांच बजे तक रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक रहेगा।
पितृ स्तोत्र
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्॥
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्॥
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि॥
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:॥
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि:॥
प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि:॥
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे॥
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्॥
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत:॥
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण:॥
तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज:॥
